आपके जीवन में मुश्किल लोग
- सैली कैम्प्टन
हम नहीं जानते के मुश्किल लोग हमारे जीवन में क्यों आते हैं। पर ऐसा होने के पीछे कुछ अच्छी परिकल्पनाएं हैं। कार्ल युंग के अनुयायी और दूसरे समकालीन आध्यात्मिक शिक्षक हमें बताते हैं के हमरे जीवन में जो भी लोग हैं वे हमारे अंतर्मन का प्रतिबिम्ब हैं, और जैसे ही हम अपने मन और मस्तिष्क को साफ़ कर लेते हैं; हम हमारे जीवन में, गुस्सैल स्त्री-मित्र, परेशान करने वाले साथी-कर्मचारी, और अत्याचारी बॉस को आकर्षित करना बंद कर देंगे। इसी विचार जैसा दूसरा विचार हैं के जीवन एक पाठशाला हैं और मुश्किल लोग हमारे शिक्षक हैं। ( जब भी कोई आप से कहे के आप उसके शिक्षक हैं, आप उससे पूछ सकते हैं के आप के बारे में उसे क्या अच्छा नहीं लगता!) एक बात स्पष्ट है: हमारे जीवन में कभी न कभी ऐसा व्यक्ति होगा जो बहुत ही मुश्किल या असहनीय हो। और कभी-कभी तो ऐसा लगता है के हम जिन लोगों को जानते हैं वे सभी लोग हमें परेशान कर रहे हैं।
इसलिए हर उस व्यक्ति के लिए जो बिना किसी गुफा में गए एक प्रामाणिक आध्यात्मिक जीवन जीना चाहता है यह प्रश्न रहता है के जीवन में मुश्किल लोगों को बिना कठोर हुए या उन्हें अपने दिल से निकले बिना कैसे संभाला जाए? आप अपने मित्र को, जो हमेशा आपको अपने नाटकों का दर्शक बनाना चाहती है, कैसे समझाएं के आप उसकी विश्वासघात की नवीनतम कथा का हिस्सा बने बिना, उसके मित्र बने रहना चाहते हैं? पुरे ऑफिस को भयभीत करनेवाले बॉस को आप कैसे संभालेंगे, या उस साथी कर्मचारी को जो पुरे हफ्ते में कई बार फुट-फुट कर रो पड़ता है, और आप पे असंवेदनशील होने का आरोप लगता हैं जबकि आप सिर्फ काम करना चाहते हैं?
और जब इसी प्रकार के मुश्किल लोग और परिस्तिथियाँ लगातार आपके जीवन में आने लगें तब आप क्या करेंगे? क्या आप आपने कर्म को दोष देंगे? कुछ होने के पहले ही विचार-विमर्श से समाधान की कोशिश करेंगे? या फिर ये चुनौतीपूर्ण विचार अपनाएंगे के आपके जीवम में मुश्किल लोग आपके अपने व्यक्तित्व की छुपी हुई प्रवृतियों का प्रतिबिम्ब हैं। दूसरे शब्दों में, क्या ये सत्य है के हम हमारे दुर्गुणों को दूसरों पे प्रतिबिंबित करके फिर उनकी निंदा करते हैं? क्या मुश्किल लोगों से निपटने के लिए हमें पहले अपने अंदर काम करना पड़ेगा?
इसका संक्षिप्त योगिक उत्तर "हाँ" है। इसका मतले ये नहीं है के आप दूसरों के असामाजिक व्यवहार को नज़र-अंदाज़ करें। (एक मुश्किल सम्बंद की अपनी जिम्मेदारी समझना और विवाद से बचना एक बात नहीं है!) और कुछ सम्बन्ध इतने मुश्किल होते हैं के उनको बदलने का सबसे अच्छा तरीका उनको छोड़ना होता है। पर मुख्या बात ये है के हम चाहे कितनी ही कोशिश कर लें हम दूसरे लोगों के व्यक्तित्व और व्यवहार को नहीं बदल सकते। हमरे असली शक्ति आपने आप पर काम करने की क्षमता में है।
पर ये तो पहला पाठ ही है। हम सब ये जानते हैं, पर जब इसकी सबसे ज़्यादा जरुरत होती है हम तभी इस पाठ को भूल जाते हैं। इसलिए फिर से सुनिए: आपकी आतंरिक स्तिथि ही दूसरे से सफतापूर्वक वव्यहार करने में आपको मदद करेगी। सबसे अच्छी अंतरव्यक्तिक तकनीक भी काम नहीं करेगी अगर आप भय-भीत, क्रोधित या दोष देने की मनः स्तिथि में होंगे। आपका खुला हुआ सशक्त मन ही वह बिंदु है जहाँ से हम दुनिया तो बदलना शुरू कर सकते हैं। [...]
आख़िरकार, किसी व्यक्ति को उसकी ऊर्जा मुश्किल बनाती है। हमारे आस-पास की ऊर्जा हमारी मनः स्तिथि और भावनाओ को प्रभावित करती हैं ये समझने के लिए हमें क्वांटम क्षेत्र सिद्धांत या बौद्ध-तत्त्वमीमांसा का छात्र होने की जरुरत नहीं है। हमारी ऊर्जाओं का एक दूसरे पर परस्पर प्रभाव ये तय करता है के दूसरा हमरे लिए असहनीय है। हम सभी अपने केंद्र में ऊर्जा-पुंज हैं। जिसे हम अपना व्यक्तित्व कहते हैं, वह बहुत सारी ऊर्जा की परतों से बना हुआ है - कोमल, सौम्य ऊर्जाएं और शक्तिशाली नियंत्रणकारी ऊर्जाएं। हमारी जंगली ऊर्जाएं हैं, करुणामय ऊर्जाएं हैं, मुक्त और बाधित ऊर्जाएं भी हैं।
ये ऊर्जाएं, हमारे शरीर, मन, विचार और भावनाओ से अभिव्यक्त होकर उस क्षण में हमारा व्यक्तित्व बनाती हैं। जो हम सतह पर, किसी वयक्ति की शारीरिक भाषा, उनके हाव-भाव में देखते हैं वह उनके अंदर क्रियान्वित ऊर्जाओं का योग हैं। बोलते समय, हमारे शब्दों के पीछे की ऊर्जा दूसरों को सबसे ज़्यादा प्रभावित करती है।
तब, बदलाव की शुरुआत, अपनी ऊर्जाओं को जानकार उनको बदलने से होती है। हम जितने सजग होंगे -- हम जितना अलग खड़े हो कर अपनी विचार और भावनाओं की निजी ऊर्जाओं को साक्षी भाव से देखेंगे (उनसे जुड़ने के बजाय) उतना अपनी ऊर्जाओं पे काम करना आसान हो जाएगा। इसके लिए अभ्यास की जरुरत पड़ेगी। ज़्यदातर लोगों में अपनी ऊर्जाओं के प्रति सजगता नहीं होती और वे ये भी नहीं जानते के उनकी ऊर्जा दूसरों को कैसे प्रभावित करती है -- और उनसे भी कम लोग ये जानते हैं एक साथ काम करती अपनी ऊर्जाओं को कैसे बदला जाए।
मनन के लिए बीज प्रश्न:
अपनी ऊर्जा के प्रति सजग होने का आप के लिए क्या अर्थ है?
क्या आप एक निजी अनुभव बाँट सकते हैं जब किसी संवाद में आप अपनी ऊर्जा के प्रति सजग हुए हों?
अपनी ऊर्जा के प्रति सजगता बनाये रखने में आप को क्या मदद करता है?
सैली केम्प्टन स्वामी मुक्तानंद की शिष्य, लेखक और आध्यात्मिक शिक्षक हैं। यह लेख निचे दी हुई कड़ी से उद्धृत है:
http://www.sallykempton.com/resources/articles/the-difficult-people-in-your-life/