Action Without Desire Of Outcomes


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परिणामों की इच्छा के बिना किये कार्य करना
- विनोबा भावे (२५ जून, २०१८)

स्व-हितों की रक्षा करने के लिए लोग औरों का शोषण करते हैं, राष्ट्र युद्ध करते है, और व्यवसाय एक-दूसरे को कमज़ोर करते हैं, क्योंकि उन परिस्थितियों में लोग स्व-हित और दूसरों के हित के बीच टकराव देखते हैं। लेकिन हकीकत में ऐसा कोई संघर्ष नहीं है। सब के हित एक दूसरे के साथ गुंथे हुए हैं। शांति, समृद्धि और खुशी सभी के हित में हैं। ये सार्वभौमिक लाभ हैं, जो व्यक्तिगत लाभ को भूल जाने पर ही प्राप्त किये जा सकते हैं। जब व्यक्तिगत लाभ का पीछा किया जाता है, सार्वभौमिक लाभ खो जाते हैं। यदि सार्वभौमिक लाभ खो जाते हैं तो व्यक्तिगत लाभ कहां हैं?

जब इसे प्यार के साथ किया जाये, तो कार्य अपना ही इनाम बन जाता है। जब बिना किसी छिपे उद्देश्य से काम किया जाता है, जब वह सहज, आनंदमय और शुद्ध होता है, तो हमारा ध्यान यहां और अब में मौजूद होता है। कोई चालाकी नहीं, कोई गणना नहीं है, कोई अटकलें नहीं हैं, कोई योजना नहीं है, कोई अतीत नहीं है, कोई भविष्य नहीं है, कोई चिंता नहीं है, कोई बोझ नहीं है। हमारा काम बिना किसी तनाव, परिश्रम या दबाव के बहता चला जाता है।

उदाहरण के लिए, यदि कोई खाना पकाने के आनंद के लिए पकाता है, और पूर्ण ध्यान और दिमाग की उपस्थिति के साथ, तो अच्छा खाना प्राकृतिक परिणाम होगा। बागवानी के आनंद के लिए बागवानी करें, अधीरता और चिंता के बिना, तो फल, फूल और सब्जियां स्वयं ही बाग़ से निकलेंगे। जो लोग खाना पकाने या बागवानी के लिए समर्पित हैं, वे इस बात से संतुष्ट नहीं होंगे अगर हम उन्हें कहते हैं कि उन्हें खाना बनाने या बागवानी करने की जरूरत नहीं है, कि हम उन्हें बना-बनाया भोजन और पहले से पैक हुई सब्जियां देंगे। एक सच्चा खाना पकाने वाला या माली खुश नहीं होंगे, क्योंकि इस तरह वे अपनी रचनात्मकता और आनंदमय काम से वंचित हो जाते हैं।

एक माली, प्यार के साथ बागवानी करते समय, सब्जी जगत के साथ खुद की पहचान बनाता है। बागवानी के माध्यम से वह पूरे ब्रह्मांड के साथ एकता प्राप्त करता है। इस तरह बागवानी एक महान कार्य, एक आध्यात्मिक कार्य, एक प्रार्थना और एक खेल बन जाती है - सारा जीवन एक खेल है; एक दिव्य नाटक। एक बच्चा खेलने के आनंद के लिए खेलता है; हम काम करने की खुशी के लिए काम करते हैं। हमें अपने कार्यों को उतने ही स्वाभाविक रूप से करना चाहिए जैसे एक पक्षी गाना गाता है। हमें अपनी प्रकृति के अनुसार काम के लिए मान्यता की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। बागवानी एक माली को उतनी ही स्वाभाविक लगती है जैसे खाना, पीना या सोना। इसमें कुछ ख़ास नहीं है। इसमें कोई अभिमान नहीं है।

हम काम करना नहीं छोड़ सकते। काम हमारे सामने और हमारे पीछे है। यहां तक ​​कि स्थिरता से बैठना भी एक काम है, और यदि बहुत लंबे समय स्थिर बैठते हैं तो हमें वह भी असहज लगेगा। इसलिए हमें काम छोड़ने की कोशिश करने की आवश्यकता नहीं है। जो हम छोड़ सकते हैं वह है परिणाम की इच्छा है।

काम के माध्यम से हम खुद को व्यक्त करते हैं। कार्य हमारी कल्पना को प्रकट करता है। काम वो प्यार है जो दिखता है। काम के माध्यम से हम लोगों और भौतिक चीज़ों के साथ संबंध स्थापित करते हैं। इस प्रकार काम अपने आप में सुंदर है। यह तो दूसरों को प्रभावित करने, नाम, प्रसिद्धि और धन पाने की इच्छा है, जो काम को बदसूरत बनाता है। किसी भी लाभ की इच्छा करने की ज़रूरत नहीं है। सभी लाभ उप-उत्पाद हैं। काम का मुख्य उत्पाद स्वयं काम ही है।

प्रतिबिंब के लिए बीज प्रश्न: आप इस धारणा से क्या समझते हैं कि काम अपने आप में सुंदर है लेकिन दूसरों को प्रभावित करने की इच्छा इसे बदसूरत बनाती है? क्या आप कोई व्यक्तिगत अनुभव बाँट सकते हैं जब आपको लगा हो कि काम ने प्यार को दृश्यमान बना दिया है? काम छोड़े बिना परिणामों से लगाव से बचने में आपको किस चीज़ से मदद मिलती है?

सतीश कुमार के साथ वार्तालाप में विनोबा भावे, उनकी पुस्तक, "यू आर, इसलिए आई एम" में वर्णित।
 

Vinoba Bhave in conversation with Satish Kumar, as chronicled in the book, "You Are, Therefore I Am."


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