हमारे निजी शिक्षक के रूप में आलस
- पेमा खोदरों
आध्यात्मिक जाग्रति का मार्ग एक प्रक्रिया है। यह एक धीमी प्रक्रिया है अपने अवरोधों के निकट जाने की। इसलिए आलास से निराष होने की बजाये, हम अपने आलास को देख सकते हैं, उसके प्रति जिज्ञासा पैदा कर सकते हैं। हम आलास को गहराई से जान सकते हैं।
हम अपने आलास से एक हो सकते हैं, उसकी गंध और स्वाद जान सकते हैं। आध्यात्मिक पथ एक प्रक्रिया है अस्तित्व के इस क्षण में आराम पाने की। हम अपने अंदर छूते हैं आलास के इस क्षण को, निराशा को, पीड़ा के इस क्षण को, टालने के या चिंता के क्षण को। हम छूते हैं और आगे बढ़ जाते हैं। यही अभ्यास करना है। ध्यान में या प्रतिदिन के जीवन में, हम मन में चल रहे विचारों को छोड़कर, अपने अनुभव को स्पर्श कर सकते हैं। हम अनुभव को स्पर्श कर सकते हैं कहानी में फसे बिना। हम अस्तित्व के इस क्षण को छूते हुए आगे बढ़ सकते हैं।
हम ध्यान में बैठें हैं या अपना दैनिक काम कर रहे हैं, और हमें अपने मन में चल रही बातों पर ध्यान आता है। और हम सुनते हैं के मन में कुछ भी अनाब-शनाब चल रहा है। मै दुखी हूँ। मै असफल हूँ। अब कोई आशा नहीं है। हम देखते हैं के हम अपने आप के साथ कैसा व्यवहार करते हैं, अपने आप को क्या कहते हैं, कैसे हम निराश हो जाते हैं या अपना ध्यान भटका लेते हैं। और फिर हम उन सभी बातों को जाने देते हैं और इस क्षण के हार्द को छूते हैं। हम अस्तित्व के इस क्षण के केंद्र को छूकर जाने देते हैं। हम इस तरह अभ्यास करते हैं। बार - बार, यही हमारा अभ्यास है।
हम हमारी निराशा के साथ पूरी ईमानदारी और करुणा से जुड़ते हैं। आलास की पीड़ा से पीछे हटाने के बजाये हम उसके निकट जाते हैं। हम उभरती हुई लहर में समां जाते हैं। हम लहर में तैरते हैं।
इस क्षण के साथ रहने की प्रक्रिया में हमें ध्यान आता है के हमारे बोहोत सारे भाई - बहन हमारी ही तरह दुखी हैं और कष्ट भोग रहे हैं। अपनी पीड़ा और आलास के निकट आने की प्रक्रिया में हम उन सभी की पीड़ा के निकट पहुँचते हैं, उनकी पीड़ा को समझते हैं, और उन सभी से अपने को जुड़ा हुआ पाते हैं।
[...] दूर चले जाने और सारे दरवाज़े बंद कर लेने के बजाय हम, पीड़ा को समाते हैं और उसमे आराम करते हैं। इस तरह हम अभ्यास करते हैं।
हम चाहे अपनी खिड़की खोलें या बहार चलने जाएँ, या चाहे शांत बैठें, हम चाहे जो भी करें, पर हमें अपने साथ रहने का ध्यान रहे, शब्दों के पीछे जा कर, टालना छोड़ कर, अस्तित्व के इस क्षण का अनुभव करना, अपने ह्रदय में, अपने पेट में, अपने लिए और उन लाखों लोगों के लिए जो हमारी ही नाव में हैं। हम खुलेपन से और करुणा के साथ हर क्षण में अभ्यास करते हैं। आलास का ये क्षण हमारा निजी शिक्षक बन जाता है। ये कीमती क्षण हमारा गहरा और स्वस्थ करनेवाला अभ्यास बन जाता है।
मनन के लिए प्रश्न:
' आलास के साथ जुड़ना ' से आप क्या समझते हैं?
क्या आप एक निजी अनुभव बाँट सकते हैं जब आलास आपका निजी शिक्षक बना हो?
अपने आलास में सामने में आपको क्या मदद करता है?
पेमा खोदरों ख्यतिप्राप्ति बौद्ध - शिक्षक हैं। यह लेख ऑनलाइन छपे एक लेख से उद्धृत है, जिसकी कड़ी निचे दी गयी है।
https://www.lionsroar.com/start-where-you-arelooking-into-laziness/