Welcoming Fear As A Friend

Author
Gerald G. May
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डर का एक दोस्त के रूप में स्वागत करना
- जेराल्ड जी मे द्वारा (नवंबर १, २०१७)

बुनियादी सबक यह है: डर एक दुश्मन नहीं बल्कि एक मित्र है। डर एक अच्छी चीज़ है, हममें कुछ जीवित, सतर्क, और जंगली। डर खतरे की ओर प्रतिक्रिया हो सकती है, लेकिन डर खुद में खतरनाक नहीं है। इसके विपरीत, यह और कुछ नहीं बल्कि जीवन-आत्मा अपने पैर की उंगलियों पर ठीक हमारे सामने खड़ी है, अभी, स्पष्ट ध्यान, तेज इंद्रियों, तैयार शरीर, फूले हुए नथुने, खड़े बाल, संतुलित मांसपेशियों, चलते दिल, साफ सांस के साथ।

जब मैं सबसे ज्यादा डर में था, जो अपरिमित कृतज्ञता मैंने तब महसूस की वो थी इतने अविश्वसनीय तरीके से जीवित महसूस करने के लिए। अज्ञात भय में कुछ ऐसी चीजों का गहरा अहसास है जैसे कि ये “मैं” अनुभव से गुजर रहा हूँ। यह परिभाषा के व्यक्तित्व है, पहचान के बिना पहचान, बिना विशेषताओं के स्वभाव है। और इसमें बहुत स्थिरता है, लगभग एक अनन्त गुणवत्ता। यहां यह जीवन है, यह एक व्यकि है जो कि गहराई से “मैं” है, इस अनुभव को अनुभव कर रहा है, इसमें ऐसे ही हूँ जैसे मैं अतीत के हर पल में रहा हूं, जैसा कि मैं आने वाले हर पल में रहूंगा, चाहे कुछ भी हो। इस अजीब तरह से, भय ने मुझे एक परम् आश्वासन दिया है।

मैं समझता हूं कि कैसे लोग डर के आदी हो सकते हैं। मैं कुछ ऐसे कुछ लोगों को जानता हूँ जो अपनी ही एड्रेनालीन के आदी हो जाते हैं, खतरे के प्रति मजबूर, जो जीवन के किनारों पर मौत के साथ नाचते हैं। मुझे नहीं लगता कि मेरे साथ कभी भी ऐसा होगा, क्योंकि मुझे भय की तलाश करने की कोई इच्छा नहीं है। लेकिन साथ ही मुझे खुद को इससे बचाने में दिलचस्पी है। जब डर आता है, तो मैं इसका सामना नहीं करना चाहता। मुझे जो कुछ भी महसूस हो रहा है, मैं चाहता हूँ कि उसके विरुद्ध मैं खुद को कसूं, न ही इससे विचलित होऊं, बल्कि मैं उस उज्ज्वल, विचारशील प्रतिक्रिया में रहूँ जिसे भय संभव बनाता है। मुझे डर का स्वागत इस तरह करना है जिस तरह का वो एक दोस्त है, जो कि वह सिखाता है और जो काम वो मेरे लिए करता है। जब बिना किसी कारण के मेरी गर्दन के पीछे के बाल खड़े हो जाते हैं, जब मुझे एक अनचाहे कम्पन का अनुभव होता है, तो मैं फिर कभी उसे इनकार नहीं करना चाहता या उसे पागल नहीं कहना चाहता। इसके बजाय, मैं इसका स्वागत करना चाहता हूं, इसके अंदर जाना चाहता हूँ, वो देखना चाहता हूँ जो यह मुझे दिखाना चाहता है।

जिन लोगों पर हमला होता है वे कभी-कभी कहते हैं कि उन्हें खतरे का पूर्वाभास था लेकिन उन्होंने उस पर ध्यान नहीं दिया। उन्होंने अपने भय को अवास्तविक माना, उसे अस्वीकार किया या उसका सामना किया, और आगे बढ़ गए । वे भयभीत होने से डरते थे, और उन्हें चोट लगी। मुझे फ्रैंकलिन रूजवेल्ट और कई अन्य लोगों से असहमत होना होगा जिन्होंने कहा है कि केवल एक चीज से हमें डरना है, वो है डर। मैं इस वाक्यांश को उल्टा क्र दूंगा और कहूंगा कि केवल एक चीज से हमें डरना है, वह है हमारा डर का भय।

प्रतिबिंब के लिए बीज प्रश्न: आप उज्ज्वल, विचारशील प्रतिक्रियाशीलता में रहने की धारणा से क्या समझते हैं, जो डर संभव बनाता है? क्या आप कोई निजी अनुभव बाँट सकते हैं जब आप अपने डर में झुक गए हों? डर को बिना अस्वीकार किये, उसमें मौजूद रहने में आपको किस चीज़ से मदद मिलती है?

जेराल्ड जी मे की "जंगल की बुद्धि" से अवतरित
 

 Gerald G May from "The Wisdom of Wilderness"


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