Emptiness And Compassion Go Hand In Hand

Author
Norman Fischer
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Image of the Weekशून्यता और करुणा एक दूसरे के पर्याय हैं
नार्मन फिस्शर

अंग्रेजी शब्द " Emptiness " शून्यता का ठीक पर्याय है, पर वह नकारात्मक भाव देता है, यहाँ तक की निराशा का भी। चीनी लोगों ने शून्यता का भाव अभिव्यक्त करने के लिए आकाश की प्रकृति का उपयोग किया है। सारे धर्म आकाश की तरह शुन्य हैं -- नीले, सुन्दर, विशाल, और किसी भी चिड़िया को, पवन को, बादल को, सूर्य को, चन्द्रमा को और विमान को स्वीकारने के लिए हमेशा तैयार। वहां सारी सीमाएं शून्यता में विलीन हो जाती हैं। वह खुला हुआ है, मुक्त।

जब मै अपने शरीर से बंधा हुआ हूँ, और दूसरे उनके शरीर से बंधे हुए हैं, तब मुझे दूसरों से अपनी रक्षा करनी पड़ती है। और जब में दूसरों के बीच होता हूँ, मुझे सतर्क रहना पड़ता है, जिस में मेहनत लगती है, क्यूंकि कई बार हमें चोट लगती है, मेरा विरोध होता है, मै दूसरों द्वारा रोका जाता हूँ। जब खुलापन होता है, दूसरों और मुझ में बिना किसी सीमा के -- जब मुझे पता चलता है के, दूसरे मै स्वयं हूँ और दूसरे लोग मेरा ही स्वरुप हैं -- तब प्रेम और सम्बन्ध सहज और प्राकृतिक हो जाता है।

शून्यता और करुणा एक दूसरे के पर्याय हैं। मेरे और दूसरों के बीच करुणा का लेन - देन बोहोत ही मुश्किल और भद्दा लगता है। अगर मै आपकी पीड़ा को सीधा अपने आप मै महसूस करता हूँ और उसके लिए अपने आप को जिम्मेदार मानता हूँ और उसके बारे में कुछ करना चाहता हूँ, और अगर मै इस प्रकार की करुणा को अपने धार्मिक जीवन की बुनियाद बना लूँ तो मै बोहोत जल्द थक जाऊँगा। पर अगर मै मेरी और आपकी सीमाहीन्ता को देखूं तो मुझे पता चलेगा के मेरी पीड़ा आपकी पीड़ा है और आपकी पीड़ा मेरी पीड़ा है और दोनों एक ही हैं, उस पीड़ा में कोई अलगाव नहीं है, कोई भार नहीं है, और वह कोई अंतिम त्रासदी नहीं है, तो मै ये कर सकता हूँ। मै बिना किसी सीमा के करुणामय और प्रेम-मय हो सकता हूँ। पर इस तरह से जीने के लिए बोहोत समय और प्रयत्न लगता है, और शायद हम वहां कभी पहुँच ही न पाएं। पर वह एक आनंदमय हार्दिक पथ है जिस पर चलना चाहिए।

बौद्ध धर्म की महायाना शाखा में करुणा को पूर्णता और सापेक्षता के सन्दर्भ में देखा जाता है। पूर्ण करुणा - करुणा जो शून्यता से प्रकाशित है : सभी जीव शुन्य हैं; सभी जीव अपने सहज शुन्य स्वभाव के कारन पहले से ही मुक्त और शुद्ध हैं। जैसे सुत्त में कहा गया है, पीड़ा शुन्य है, और पीड़ा से मुक्ति भी शुन्य है।

पर यह विचार एक तरफा और विकृत है। सापेक्ष करुणा - मानवीय ऊष्मा और व्यावहारिक भावनात्मक सहारा -- चित्र को पूर्ण करता है। पूर्ण करुणा हमें आनंदपूर्वक सहायता का कार्य करते रहने का सामर्थ्य देती है; सापेक्ष करुणा जीवन के शुन्य स्वभाव को हमारे हर सम्बन्ध में दृढ़ करती है। दोनों विचार अपने आप में असंभव होंगे पर साथ में वे एक बोहोत इस सुन्दर, जुड़े हुए और स्थायी जीवन को संभव बनाते हैं।

मनन के लिए प्रश्न :
शून्यता और करुणा एक दूसरे के पर्याय हैं - से आप क्या समझते हो ?
क्या आप एक निजी अनुभव बाँट सकते हैं जब आप ने मानवीय ऊष्मा और शून्यता का अंतर-सम्बन्ध महसूस किया हो ?
शुन्य रहते हुए अपना काम करते रहने में आपको क्या मदद करता है ?


Lion's Roar नमक इंटरनेट पत्रिका में प्रकाशित एक लेख से उद्धृत।



 

Excerpted from an article in Lion's Roar.


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