Reflections on Life from Death Row

Author
Moyo
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कालकोठरी में रहने वाले कैदियों द्वारा जीवन पर कुछ विचार
-- मोयो द्वारा (१० अगस्त, २०१६)

रैजी ने एक बार मुझसे कहा कि हम इन जेल की कोठरियों को वैसे ही इस्तेमाल कर सकते हैं जैसे मठवासी मठ के ध्यान कक्षों का करते हैं।

लेकिन जेल एक मठ नहीं है। और यद्यपि मैं जेल की इस कोठरी में मिलने वाले वास्तविक साधना के सुअवसरों का पूरा लाभ उठाने की कोशिश कर सकता हूँ, लेकिन यह कोठरी किस लिए बनाई गयी है, इस बात को भूल जाना एक गलती होगी।
पहली बात तो चीजों को जैसे वो हैं, यह उन्हें वैसे न देखना होगा, जो मेरी साधना मुझे हमेशा करने के लिए प्रोत्साहित करती है; चीजों को सही ढंग से देखने के लिए।

साथ ही यह कालकोठरी की निर्दयता और घातकता के प्रति मेरी जागरूकता पैदा करने की प्रतिबद्धता में भी मदद नहीं करेगी। मैं इस बातचीत को तब तक जारी रखना चाहता हूँ जब तक हम कुछ परिवर्तन नहीं देखते।
***

अजीब बात है कि जो चीज़ आप को मारने के लिए तैयार है आप उसे ही अपने घाव भरने के लिए इस्तेमाल करते है। कालकोठरी उसमें रहने वाले कैदी के लिए वाद-विवाद करने का सबसे अच्छा साथी है। यह सबसे अच्छा गुरु, सबसे अच्छा शिक्षक है।

अजीब बात है, मुझे पता है, लेकिन यह सच है।

इस कोठरी में, मैंने धैर्य की कला, मौन की कला सीखी है, और उसके फल बहुत मीठे हैं। मैंने आत्मनिरीक्षण करने की कला को सीख लिया है और सीख लिया है कि यह किसी की अपने बारे में जो भावना है उसे सुधारने के लिए क्या कर सकती है।
मैंने इस कोठरी में अपने समय का इंतज़ार करना सीख लिया है, उस धैर्य के साथ जो इसने मुझ पर लागू किया है। मैं इस कोठरी के सन्नाटे की जकड़न के दर्द से अब चिल्लाता नहीं।

मुझे पता है कि अगर कोई चार दशकों के बाद यहां से बाहर निकला है, तो मुझे अपने डेढ़ दशक में ठीक-ठाक होना चाहिए। मेरी तो सिर्फ शुरुआत है।

इस कोठरी की भी शुरुआत ही है।

***

मैं इस कालकोठरी से कभी ज़िंदा बाहर निकलने की उम्मीद नहीं करता।

मैं अगले साल मर सकता हूँ, मैं इस साल मर सकता हूँ। मुझे इस बारे में कोई भारी चिंता का अहसास नहीं होता।

जिस चीज़ की मुझे सबसे ज़्यादा चिंता है वो है कि मैं अपना समय को नेक कामों में नहीं लगा रहा हूँ। जो बात मुझे परेशान करती है वो ये कि मैं यहाँ औरों के लिए बेकार हूँ। फिल्म दी मैट्रिक्स में, मनुष्य फिर भी किसी काम आ रहे थे। वे ईंधन थे! यहां, मेरा कोई भी इस्तेमाल नहीं है।

मुझे एक कैमरे के आगे बैठा दो और मुझे उन बच्चों से बात करने दो जो बड़े होकर आर्थिक तौर पर आत्म-निर्भर न हो पाने के जोखिम में हैं। मुझे बुनना सिखाओ ताकि मैं बेघर लोगों के लिए कुछ कंबल बना सकूँ। मुझे कुछ रक्त या किन्हीं अंगों को दान करने दो!

मैं एक स्वस्थ पुरुष हूं। जब मुझे मार दिया जाएगा, तब मैं कोई अंग दान नहीं कर पाऊंगा क्योंकि उस समय वो दवा के ज़हर से बर्बाद हो जाएंगे [...]।

इसलिए मेरे विरोध प्रदर्शन मेरा अंग दान हैं। मेरी उठाई आवाज़ मेरा अंग दान हैं। मेरी कला मेरा अंग दान हैं।

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18 वर्ष की उम्र में, मोयो ने दो लोगों को जान से मार दिया। उसे मौत की सज़ा सुनाई गयी और पिछले पंद्रह वर्षों से वह मृत्यु पंक्ति में एकान्त कारावास में है। वहाँ, उसके अपने शब्दों में, वह “अपनी आत्मा को चमकाने, अपने हृदय से धब्बे साफ़ करने, और अपने मन की खिड़कियों को खोलने” पर लगा है। एक पार्किंग स्थल से भी छोटे अपने सैल में कैद, मोयो ने आत्म-अन्वेषण की खोज शुरू कर दी। अपनी ही कथा को समझने और पुनः पाने के प्रयास में, वह एक उत्सुक पाठक बन गया, काले इतिहास, कला, न्याय प्रणाली, मनोविज्ञान, आध्यात्मिक ग्रंथों, उपन्यास और दूसरी पुस्तकों में खुद को तल्लीन कर लिया। अपने खुद के अनुभवों और भावनाओं का पता लगाने के लिए उसने कला को साधन बनाना शुरू कर दिया। करीब सभी तरह के सामाजिक संपर्क से वंचित, उसने बाहरी दुनिया के लोगों के साथ पत्रों के द्वारा बात-चीत करना शुरू कर दिया। एक बार, मनोरंजन यार्ड में एक पड़ोसी कोठरी से, एक साथी कैदी ने मोयो को योग और ध्यान से परिचित करा दिया। उसके बाद के वर्षों में, मोयो ने अपने आप को एक नियमित अभ्यास में बाँध लिया। मोयो (स्वाहिली में दिल/भावना) कलाकार द्वारा अपनाया गया कल्पनात्मक नाम है।

विचार के लिए कुछ मूल प्रश्न: आप वर्तमान क्षण की क्षमता को साफ़ देखते हुए, साथ ही उसकी वास्तविकता को स्वीकार कर पाने से क्या समझते है? क्या आप अपना जोई अनुभव बाँट सकते है जब आपने खुद एक बदलाव में भाग लेते हुए चीजों को सही तरीके से देखा हो? अपनी पूरी क्षमता जिसे आप साकार करते है, उसमें स्थित रहते हुए आप मुश्किल परिस्थितियों की सच्चाई का सामना करने की क्षमता का विकास कैसे करते हैं?

उपरोक्त अंश काल कोठरी के बुद्ध (Buddhas on Death Row) से उद्धरित है, एक ऐसी परियोजना जो गहन अंधेरी जगहों में पनपती गम्भीर यात्राओं को प्रकाशित करती है, और जो कला, आंतरिक सुधार, और दोस्ती की शक्ति की एक साक्षी है। ऊपर दी छवि मोयो द्वारा कागज़ पर एक रंगीन पेंसिल द्वारा खींचा एक चित्र है, जिसका शीर्षक " साहचर्य” (“कंपनी") है।
 

The above content is excerpted from Buddhas on Death Row, a project that brings to light a profound journey unfolding in the darkest of places, and a testament to the power of art, inner cultivation, and friendship. The above image is a color pencil sketch on paper by Moyo, titled "Company".


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