Restoring Balance and Meaning in Ourselves

Author
Alan Briskin
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अपने जीवन में संतुलन और अर्थ को वापिस​ लौटाना
-- एलन ब्रिसकिन (१४ नवम्बर, २०१६)

महान सूखे के समय में, एक ताओवादी मास्टर को एक गांव के सदस्यों ने पूछा कि अगर वह उनके सूखे खेतों के लिए बारिश लाने में मदद कर सकते हैं। उनहोंने स्वीकार किया कि उन तक पहुँचने से पहले वे कई अन्य तरीके आज़मा चुके थे, लेकिन कोई फ़ायदा नहीं हुआ।


मास्टर आने के लिए सहमत हो गए और उन्होंने एक छोटी सी कुटिया मांगी जिसके साथ एक बगीचा हो जिसकी वो देखभाल कर सकें। तीन दिनों के लिए, वे बगीचे में काम करते रहे, बिना कोई विशेष अनुष्ठान किये या गांव वालों से और कुछ भी पूछे। चौथे दिन, प्यासी ज़मीन पर बारिश गिरने लगी। जब उनसे पूछा गया कि वो इस तरह का चमत्कार कैसे कर पाए, तो मास्टर ने उत्तर दिया कि वो बारिश के लिए जिम्मेदार नहीं थे। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि जब वे गांव में आये थे, उनहोंने अपने अंदर एक विरोध का अनुभव किया था। प्रत्येक दिन, जैसे-जैसे वो बगीचे की देखभाल करते, वे कुछ और अपने पास लौट आते। जब वे संतुलन में लौट आए, तो बारिश स्वाभाविक रूप से आ गयी।

मैंने सुना है कि यह मनोवैज्ञानिक कार्ल जंग की पसंदीदा कहानियों में से एक थी, जो उन्हें रिचर्ड विल्हेम, चीनी भविष्य-कथन पुस्तक, आइ चिंग: बदलाव की पुस्तक, के अनुवादक ने सुनाई थी। जंग का मानना ​​था कि ताओवादी विश्वास उनकी अपनी इस जानकारी को झलकाता था कि जिसे हम व्यक्तिगत चेतना कहते हैं वह महान सम्पूर्ण की केवल एक आंशिक धारणा है। मन को खोलने के तरीके हैं, जो हमें एक सामूहिक अचेतन के साथ जोड़ते हैं, और हमें महान सार्वभौमिक लय तक पहुंचने देते हैं।और इस उपयोगी उलझाव से, समानांतर घटनाएं उठ सकती हैं, जैसा कि ताओवादी मास्टर और बारिश गिरने के बीच हुआ।

जंग ने बाद में इन प्रतीयमान संयोगों को समकालिकता (Synchronicity) कहा, एक मनोवैज्ञानिक सिद्धांत जो व्यक्ति की भीतरी प्रवृत्ति को दुनिया में बाहर हो रही घटनाओं से अभिन्न मानता है। जंग, तथापि, समकालिकता (Synchronicity) और कारणता (causality) को समान नहीं मान रहे थे और न इसका सुझाव दे रहे थे। ताओवादी मास्टर ने बारिश को उत्पन्न नहीं किया था। बल्कि, जंग का मानना ​​था कि ऐसी समानांतर प्रक्रियाऐं होती हैं जिनमें बाहरी घटनाऐं मानसिक गतिविधि को प्रतिबिबित करती हैं। वे विल्हेम की इस अंतर्दृष्टि से अचंभित थे कि ताओ, जिसे सामान्यतः मार्ग या राह के रूप में समझा जाता है, उसे “अर्थ” के रूप में बेहतर समझा जा सकता है। समकालिकता (Synchronicity) को अर्थ से गुंथे संयोगों के रूप में समझा जा सकता है, जानने का एक तरीका जो संभावित रूप से कारणता (causality) की पश्चिमी अवधारणाओं जितना ही प्रभावशाली था।​

हम सब के पास उस पतले आवरण का अंतर्ज्ञान है जो हमें इस बड़ी सार्वभौमिक चेतना से अलग रखता है। जंग इस बात को मानने में अकेले नहीं थे कि इस आवरण को हटाया जा सकता है। दार्शनिक और उपन्यासकार कॉलिन विल्सन ने एक "अवचेतन मन" के बारे में लिखा, जो सुन्न हो जाता है, "एक बांह की तरह जिसपर मैं नींद में सोया हुआ हूँ, और जो पूरी तरह निर्जीव और बिना अनुभूति की हो गयी है।” हमारा काम है अवचेतन मन और जीवन के प्रवाह के बीच संचलन को वापस लाना। ऐसा करने में, हम विस्मय और रहस्य के साथ एक भावना भर सम्बन्ध जगाते हैं।और इस संभावना के प्रति जागृत होने में, एक मौलिक परिवर्तन होता है। अब घटनाओं की दया पर निर्भर हुए बिना, हम जीवन को अर्थ देने में सक्रिय प्रतिभागी हो जाते हैं।

क्या ताओवादी मास्टर का दृष्टान्त जागृत मन के लक्षण को दर्शाता है, एक ऐसा व्यक्ति जिसने अपने और ब्रह्मांड के बीच के संचलन को वापिस लौट लिया है? और अगर ऐसा है, तो हमें जीवन के प्रति समकालिक (synchronistic) रवैये के बारे में नए सिरे से विचार करना चाहिए। जब हम अपने आप में संतुलन और अर्थ को वापिस लौटाते हैं, तो हम अपने आसपास की दुनिया में आशा और उद्देश्य के बीज बोते हैं।


विचार के लिए कुछ मूल प्रश्न: आप जीवन में अर्थ लाने के सक्रिय भागीदारी बनने की धारणा से क्या समझते हैं? आप कोई समकालिकता (synchronicity) का व्यक्तिगत अनुभव बाँट सकते हैं जहां आपका संतुलन में लौटना और कोई अनुरूप बाहरी परिवर्तन साथ-साथ हुए हों? जब आप बाहर की दुनिया में बेसुरापन देखते हैं तो आपको अपने भीतर के संतुलन पर ध्यान केंद्रित रखने में किस चीज़ से मदद मिलती है?

एलन ब्रिसकिन के हफिंगटन पोस्ट के लेख के कुछ अंश।
 

Excerpted from Alan Briskin's Huffington Post article.


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