इच्छा तक प्यार भरी प्रेरणा के रूप में पहुंचना
-- मिकी काश्तान (२४ अगस्त, २०१६)
जब यन्नाइ, मेरी बहन इनबाल का बेटा, साढ़े तीन वर्ष का था, उसके दादा-दादी मिलने के लिए आए और नीचे के कमरे में ठहरे। अगली सुबह क़रीब 8 बजे यन्नाइ ने ऊपरी मंजिल के फर्श पर एक डंडा पीटना शुरू कर दिया। फिर निम्नलिखित बातचीत शुरू हुई:
इनबाल: "तुम्हें फर्श पीटते देखकर मुझे हमारे मेहमानों के बारे में चिंता हो रही है। मैं चाहूंगी कि वे जितनी देर तक आराम करना चाहते हैं, कर पाएं। क्या तुम ये फर्श पीटना बंद करने के लिए तैयार हो या फिर सोफे को पीट सकते हो?”
यन्नाइ: "मैं चाहता तो नहीं, लेकिन मैं करने के लिए तैयार हूँ।"
इ: "ऐसा क्यों कि तुम यह करना नहीं चाहते?"
य: "क्योंकि यह मुझे नहीं जगा रहा है!”
इ: "तो फिर तुम ऐसा करने के लिए तैयार क्यों हो?”
य: "क्योंकि मैं आपकी बात रखना चाहता हूँ।”
इसके बाद बिना किसी गुस्से और नाराज़गी के भाव के, जो आमतौर पर लोग दिखाते हैं जब वो अपनी इच्छा के विरुद्ध कुछ कर रहे होते हैं, उसने वो डंडा नीचे रख दिया। इनबाल ने सहयोग की ज़रूरत को पूरा करने के लिए अपने बेटे के प्रति अपना आभार व्यक्त किया, और वे अपनी-२ सुबह के कामों में लग गए।
जब इनबाल ने अपनी कार्यशालाओं में लोगों के एक समूह के साथ यह कहानी बांटी, तो एक आदमी ने कहा: "लेकिन ज़ाहिर है, आपके बेटे को मालूम था कि अगर उसने वैसा नहीं किया जो उसे कहा जा रहा है, तो आप वो डंडा उससे ले लेंगी!” "नहीं, " उन्होंने जवाब दिया। "मैंने वो डंडा उससे नहीं लिया होता। वास्तव में, मुझे विश्वास है कि क्योंकि मेरे बेटे को पता था कि मैं उससे वो डंडा खींच नहीं लूँगी, इसलिए वह उसे नीचे रखने को तैयार था भले ही वह ऐसा काम था जो वो करना चाहता नहीं था।”
मेरी नज़र में, लगातार ज़बरदस्ती और "ऐसा होना चाहिए" की सोच की अनुपस्थिति वो सन्दर्भ थी जिसमें यन्नाइ अपनी मां का ध्यान रखने की अपनी जैविक और असली इच्छाओं को खोज और उत्पन्न कर रहा था।
जब भी मैं अपने आप को "ऐसा होना चाहिए" की सोच का उपयोग करते देखती हूँ, मैं रुककर समझने की कोशिश करती हूँ। “मुझे ऐसा करना चाहिए” सोचना छोड़कर … “मैं ऐसा चाहती हूँ… क्योंकि मैं…” मैं ऐसा सोचती हूँ। कहना आसान है। आंतरिक बदलाव आसान नहीं है। यह कहना आसान है "मुझे कम बिस्कुट खाना चाहती हूँ क्योंकि मैं अपने शरीर का ध्यान रखना चाहती हूँ” बजाए यह कहने के “मुझे कम बिस्कुट खाने चाहिए।” अपने शरीर का अच्छी तरह ख्याल रखने की इच्छा तक पहुंचना आसान नहीं है, उस इच्छा को इतनी गहराई से छूना कि वह एक आत्म चेतावनी बनने की बजाए एक प्यार भरी प्रेरणा का काम कर सके।
विचार के लिए कुछ मूल प्रश्न: ज़बरदस्ती और “ऐसा होना चाहिए” की सोच की अनुपस्थिति का किसी और का ध्यान करने की जैविक और असली इच्छा को पैदा करने में एक महत्वपूर्ण संदर्भ होने के बारे में आप क्या समझते है? क्या आप कोई व्यक्तिगत अनुभव बाँट सकते हैं जब आपने “मुझे ऐसा करना चाहिए” से “मैं ऐसा करना चाहती हूँ … क्योंकि मैं” का आंतरिक रूपांतरण किया हो? आपको इच्छा की गहराई तक पहुंचने में किस चीज़ से मदद मिलती है, कि वो इच्छा एक प्यार भरी प्रेरणा बन सके?
मिकी काश्तान अहिंसक संचार प्रथाओं की समर्थक हैं और निडर मन ( द फीयरलेस हार्ट) पर ब्लॉग लिखती हैं। ऊपरी लेख उनकी पुस्तक मौलिक जीवंतता का धागा बुनना (स्पिनिंग थ्रेड ऑफ़ रैडिकल अलाइवनेस ) से उद्धरित एक अंश है।
Miki Kashtan is advocate of non-violent communication practices and blogs at The Fearless Heart. Above is an excerpt from her book Spinning Thread of Radical Aliveness.
SEED QUESTIONS FOR REFLECTION: How do you feel about the absence of coercion and 'should' thinking being an important context for cultivating organic and genuine desire to care for another? Can you share a personal story of a time you made an internal shift from 'I should' to 'I want to... because I...'? What helps you access desire so deeply that it can serve as a loving motivation?