शक्ति का विरोधाभास
-- डैशर केल्टनर द्वारा लिखित (१३ जुलाई, २०१६)
जीवन कई बार-बार होने वाली घटनाओं से बना है। और एक ऎसी घटना मेरे पिछले २० वर्षों के वैज्ञानिक अध्ययन में बार-बार उभरती रही। उसे शक्ति का विरोधाभास कहते हैं: मानव प्रकृति के बारे में जो सबसे अच्छी चीज़ है उसके कारण हमारी शक्ति बढ़ती है और हम दुनिया में बदलाव लाते हैं, लेकिन उसमें जो सबसे बुरा है उसकी वजह से हम शक्ति खो देते हैं। हम दूसरों के जीवन को आगे बढ़ाकर द्दुनिया में बदलाव लाने की अपनी क्षमता को बढाते हैं, लेकिन सत्ता और विशेषाधिकार होने का यह अनुभव ही, अपने सबसे खराब क्षणों में हमसे, आवेगी, नियंत्रण से बाहर मनोरोगी की तरह व्यवहार करवार्ता है।
हम इस शक्ति के विरोधाभास से जैसे निपटते हैं वो हमारे व्यक्तिगत और काम सम्बंधित जीवन को, और अंत में, जिन लोगों का हम भला सोचते हैं, वो और हम कितने खुश हैं, इस बात को निर्धारित करता है।
बीस साल पहले, जब मैंने वो खोज करनी शुरू की जिसने शक्ति के विरोधाभास को उभारा, तो मैंने इस सवाल का सामना किया: शक्ति क्या है? शक्ति के विरोधाभास को मात देने के लिए, हमें यह जानना ज़रूरी है कि शक्ति क्या है। मेरी वैज्ञानिक जांच से जो पहली आश्चर्य की बात निकाली वो ये थी: हमारे समाज को शक्ति के बारे में जो ज्ञान है उसे गहरे और चिरस्थाई रूप से एक व्यक्ति ने आकार दिया है - वो है निकोलो मैकियावेली - और उसकी शक्तिशाली सोलहवीं सदी की किताब, शासक। उस किताब में फ्लोरेंटीनी लेखक ने यह तर्क दिया कि अपने सार में, शक्ति का अर्थ है ताकत, धोखाधड़ी, बेरहमी और सामरिक हिंसा। मैकियावेली के बाद, व्यापक प्रवृत्ति ऐसा सोचना रही है कि शक्ति का अर्थ है ज़बरदस्ती प्रचंडता के असाधारण काम। शक्ति वो थी जिसका इस्तेमाल बड़े-बड़े तानाशाह करते थे; शक्ति जंग के मैदानों में निर्णायक चालें चलने वाले जनरलों में निहित थी , उन व्यापारियों में निहित थी जो प्रतिरोधी अधिग्रहण की शुरुआत करने जा रहे थे, उन सहकर्मियों में निहित थी जो अपने कैरियर को बढ़ाने के लिए अपने साथ काम करने वालों का बलिदान दे देते थे, और उन धौंस जमाने वाले बच्चों में निहित थी जो मध्यम स्कूल के मैदान में छोटे बच्चों को त्रस्त करते हैं।
लेकिन सत्ता का यह स्वरूप आज सावधान जांच करने पर विफल हो जाता है। इससे मानव इतिहास के कई महत्वपूर्ण परिवर्तनों का जवाब नहीं मिलता: उदाहरण के लिए, गुलामी का उन्मूलन, तानाशाही का गिराया जाना, रंगभेद नीति का अंत, और नागरिक अधिकार, महिलाओं के अधिकार, और समलैंगिकों के अधिकारों के आंदोलनों का उदय। मैकियावेली के पुनर्जागरण के समय के फ्लोरेंस के बाद से समाज में ऐसा ज़बरदस्त बदलाव आया है जो हमें सत्ता की पुरानी धारणाओं से परे ले जाने पर मज़बूर करता है। अगर हम अपनी सोच को व्यापक बना लें और शक्ति को इस दुनिया को बदलने की क्षमता की तरह परिभाषित करें तो हम शक्ति के विरोधाभास को मात देने के लिए और अधिक तैयार होंगे, खासतौर पर अपने सामजिक दायरे में लोगों को और अधिक उत्तेजित कर के।
शक्ति की ये नयी परिभाषा यह दर्शाती है कि यह विरले लोगों के अत्यधिक महत्त्वपूर्ण जीवन के प्रभावशाली क्षणों तक तक सीमित नहीं है - द्रोही तानाशाहों, सुर्ख़ियों में रहने वाले नेताओं, या दुनिया की सैर करने वाले अमीर और जाने-माने लोगों तक सीमित नहीं है; न ही इसका अस्तित्व केवल बोर्डरूमों, या युद्ध के मैदानों, या अमरीकी सेनेट तक ही सीमित है। बल्कि, शक्ति हर इंसान के रोज़-मर्रा के जीवन को परिभाषित करती है। यह न केवल असाधारण कार्यों में, बल्कि दैनिक कार्यों में पायी जाती है, वास्तव में हर बातचीत और हर रिश्ते में, चाहे वो किसी दो वर्ष के बच्चे को हरी सब्जियां खिलाने का प्रयास हो, या किसी अड़ियल सहयोगी को उसका बेहतरीन काम करने के लिए प्रेरित करना हो। यह किसी दूसरे को कोई मौका देने में, या एक दोस्त में रचनात्मक विचारों को प्रेरित करने के लिए सही सवाल पूछने में, या किसी सहयोगी के परेशान मन को शांत करने में, या समाज में ऊपर उठने की कोशिश करते किसी युवक को संसाधन देने में निहित है।
शक्ति का चलन, पारस्परिक प्रभाव के पैटर्न, भ्रूण और मां, शिशु और माता-पिता, दो प्रेमियों, बचपन के दोस्तों, किशोरों, साथ काम करने वाले लोगों, और संघर्ष में फंसे समूहों के बीच चलने वाले लगातार पारस्परिक प्रभाव को परिभाषित करते हैं। शक्ति वो माध्यम है जिससे हम एक दूसरे से बात-चीत करते हैं। शक्ति का अर्थ है दूसरों को प्रभावित करके दुनिया में बदलाव लाना। और ऎसी शक्ति हमें दूसरों द्वारा दी जाती है, नाकि उनसे खींची जाती है।
विचार के लिए कुछ मूल प्रश्न: आप इस बात से क्या समझते हैं कि शक्ति वो माध्यम जिससे हम एक-दूसरे से बात-चीत करते है? क्या आप कोई व्यक्तिगत अनुभव बाँट सकते हैं जब आपने यह महसूस किया हो कि शक्ति हमें औरों से प्राप्त होती है, नाकि उनसे खींची जाती है? शक्ति को मैकियावेली की तरह देखने की बजाए, सेवा के भाव से देखने के लिए आपको किस चीज़ से मदद मिलती है?
इस लेख के कुछ अंश। डैशर केल्टनर यू सी बर्कले में एक शोधकर्ता हैं, ग्रेटर गुड साइंस सेंटर के संस्थापक हैं, और अपनी नई पुस्तक में इन विषयों के बारे में बात करते हैं।