स्वेच्छा से, स्वच्छंदता से जियो
-- एकनाथ ईश्वरन द्वारा लिखित (२४ मई, २०१७)
आधुनिक मनोविज्ञान सामान्यतः यह दावा करता है कि हम अवचेतन मन में पूरी तरह से जागरूक रूप में नहीं उत्तर सकते। आध्यात्मवादी (mystic) जवाब देता है, "जी, हाँ, आप ऐसा कर सकते हैं! मैंने ऐसा किया है।" इस यात्रा को पर्याप्त रूप से वर्णित नहीं किया जा सकता, लेकिन मैं इसे निर्वासन से वापसी के रूप में देखता हूँ । उन अजीब और अद्भुत जगहों में हम भी जा सकते हैं, उन जंगली जानवरों को चुनौती देने के लिए जो वहां घूमते हैं, उस महल की खोज-बीन करने के लिए, जहां हमारी बजाए वृद्ध राजा, अहंकार, शासन करता है, और अपने सिंहासन और विशाल आंतरिक खजाने पर दावा करने के लिए, जिस पर हमारा अधिकार है। क्योंकि यह हमारी अपनी भूमि है, वो भूमि जिस पर हम पैदा हुए थे। भले ही हम कुछ समय के लिए हम निर्वासन को सहन करते हैं, भले ही यह राज्य अत्याचारी के कुशासन के कारण कुछ विकार में पड़ा है, तो भी हम विजयी वापस लौट सकते हैं और सब कुछ ठीक कर सकते हैं।
लेकिन "जंगली जानवरों को चुनौती देना"? यह कोई अतिशयोक्ति नहीं है: मेरा इशारा उन स्वार्थी इच्छाओं और नकारात्मक भावनाओं की ओर है जो हमारा पीछा करती हैं। वे कितनी शक्तिशाली हैं! “मैं सोचता हूँ” या "मुझे लगता है" मुझे ऐसा कहना हमेशा कुछ महत्त्वाकांक्षी लगा है। ज़्यादातर, हमारे विचार हमें सोचते हैं, हमारी भावनाएँ हमें महसूस करती हैं; इस मामले में हमारी बहुत ज़्यादा मर्ज़ी नहीं चलती। मन का दरवाज़ा हर समय खुला रहता है, और ये अप्रिय मानसिक स्थितियाँ जब चाहें अंदर आ सकती हैं। हम कुछ पी सकते हैं, कोई शांत करने वाली गोली खा सकते हैं, खुद को किसी बेस्टसेलर किताब में या दस-मील की दौड़ में खो दे सकते हैं, लेकिन जब हम वापस लौट कर आते हैं तो वो जानवर अभी भी वहीँ होंगे, दहलीज़ के आस-पास छिपे।
दूसरी ओर, हम इन प्राणियों को शांत करना सीख सकते हैं। जैसे ध्यान गहरा होता है, उत्तेजनाएं, लालसाएं और भावनाओं के दौरे हमारे व्यवहार को नियंत्रित करने की शक्ति को खोना शुरू कर देते हैं। हम स्पष्ट रूप से देखते हैं कि विकल्प संभव हैं: हम हां कह सकते हैं, या हम न कह सकते हैं। यह गहन मुक्ति प्रदान करता है। शायद, हम शुरू में सबसे अच्छे चुनाव न कर पाएं, लेकिन कम से कम हमें पता है कि हमें कुछ चुनाव करने हैं। फिर हमारी कुशलता में सुधार होता है; हम स्वेच्छा से, स्वच्छंदता से जीना शुरू करते देते हैं।
विचार के लिए कुछ मूल प्रश्न: आप निर्वासन से निकलकर अचेतन मन में पूरी तरह से जागरूक रूप से प्रवेश करने की उपमा से क्या समझते हैं? क्या आप कोई व्यक्तिगत अनुभव बाँट सकते हैं जब आपने उत्तेजनाों, लालसाों और भावनाओं के दौरों से साफ तौर पर स्वतंत्रता का अनुभव किया हो? आपको स्वतंत्रता से, स्वच्छंदता से जीना शुरू करने में किस चीज़ से मदद मिलती है?
एक आध्यात्मिक शिक्षक और ब्लू माउंटेन सेण्टर ऑफ़ मेडिटेशन के संस्थापक, एकनाथ ईस्वरन द्वारा लिखित, “ध्यान” से उद्धरित।