Learning Not to Be Afraid of Things That Are Real


Image of the Weekजो चीज़ें असली नहीं हैं उनसे न डरना सीखना
-- थानीसारो भिक्कू (२४ मई, २०१६)

हाल ही में मैं प्रकृति अवलोकन पर एक क्षेत्र गाइड पढ़ रहा हूँ। यह लेखक, जब वह एक बच्चा था, एक वृद्ध अमेरिकी मूल प्रजाति सदस्य द्वारा प्रशिक्षित किया गया था। एक दिन बच्चे ने वृद्ध आदमी से पूछा, "ऐसा क्यों है कि आप को गर्मी या ठण्ड से डर नहीं लगता?”

बूढ़े आदमी ने थोड़ी देर के लिए उसे देखा और अंत में कहा, "क्योंकि वे असली हैं।"

और यह साधक के रूप में हमारा काम है: उन चीज़ों से न डरना सीखने की कोशिश करना, जो असली हैं।

अंत में, हमें पता चलता है कि जो चीजें असली हैं वो मन के लिए कोई खतरा उत्पन्न नहीं करतीं। मन में असली खतरे हैं हमारे भ्रम, वो बातें जिन्हें हम घड़ रहे हैं, वो चीज़ें जिन्हें हम सच्चाई को ढकने के लिए इस्तेमाल करते हैं, वो कहानियों, वो पूर्वाग्रहित विचार जिन्हें हम चीज़ों पर थोपते हैं। जब हम उन कहानियों और धारणाओं में जीने की कोशिश कर रहे होते हैं, वास्तविकता डरावनी लगती है। वह हमेशा हमारे विचारों की दरारों, हमारे अज्ञान की दरारों, हमारी इच्छाओं की दरारों को प्रकट करती है। जब तक हम उन मन-घड़ंत इच्छाओं के साथ अपनी पहचान बनाए रखते हैं, हमें वो डरावनी लगती है। लेकिन अगर हम खुद असली इंसान बनना सीख लेते हैं, तो सच्चाई कोई खतरा पैदा नहीं करती।

इसी के लिए ध्यान किया जाता है, खुद को सिखाने के लिए कि कैसे असली इंसान बनना है, जो असल में हो रहा है, उसका अहसास कर पाने के लिए, आप कौन हैं, अपने उस भाव को देखने के लिए और उसे खोलकर इस तरह देखने के लिए कि वह असल में क्या है, उन चीज़ों को देखने के लिए जिन्हें आप अपने जीवन में डरावना समझते हैं और यह देखने के लिए कि वे असल में क्या हैं। जब आप वास्तव में देखते हैं, तब आप को सच्चाई दिखती है। अगर आप अपनी तलाश में सच्चे हैं, तो सच्चाई प्रकट हो जाती है।

यह साधना में एक महत्त्वपूर्ण सिद्धांत है। [...] केवल वो लोग जो सच्चे हैं, सच्चाई को देख सकते हैं। सच्चाई उस मन का गुण है जो चीजों को सुलझाने या अपनी समझदारी पर निर्भर नहीं रहता। यह आपके चाल-चलन और आपके देखने की शक्ति, सच्चाई को, वो जैसी है, वैसे स्वीकार करने की ईमानदारी पर निर्भर करता है। इसका अर्थ है कि आप इस तथ्य को स्वीकार करें कि आप उस सत्य को आकार देने में एक भूमिका निभाते हैं, इसलिए आपको जिम्मेदार होना होगा। आपको, जो आप कर रहे हैं और जो परिणाम आपको मिलते हैं, दोनों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए, ताकि आप अधिक से अधिक निपुण होना सीख सकें।

विचार के लिए कुछ मूल प्रश्न: “असली इंसान” बनने से आप क्या समझते है? क्या आप कोई व्यक्तिगत अनुभव बाँट सकते हैं जब आप वो महसूस कर सके हों जो आपके लिए सच था? आपको सच्चे रहने में कौनसी साधना मदद करती है?

थानीसारो भिक्कू की धम्म टॉक - असली बनो, के कुछ अंश
 

Excerpted from Thanissaro Bhikkhu's Dhamma Talk: Get Real


Add Your Reflection

7 Past Reflections