क्या सौंदर्य विश्व को बचा सकता है?
-- एलेक्सेंडर सोल्ज़ेनित्सिन (१५ दिसंबर, २०१५)
दोस्तोयेवोस्की ने एक बार यह रहस्यपूर्ण वाक्यांश कहा था: "सौंदर्य दुनिया को बचाएगा।” इसका क्या अर्थ है? एक लंबे समय के लिए मुझे लगता था कि यह एक वाक्यांश मात्र था। ऐसी बात कैसे संभव हो सकती है? खून के प्यासे इतिहास में ऐसा कब हुआ है कि सौंदर्य ने किसी को किसी भी चीज़ से बचाया हो? सौंदर्य ने अलंकरण ज़रूर प्रदान किया, कुछ उत्थान किया - लेकिन उसने कब किसी को बचाया ?
लेकिन, सौंदर्य के सार में एक विशेष गुण है, कला की प्रतिष्ठा में एक विशेष गुण है: एक वास्तविक कलात्मक कृति में जो प्रतीति होती है वो बिल्कुल निर्विवाद है और वो दृढ़ता से विरोध करने वाले दिलों को भी अपने वष में कर लेती है। हम एक राजनीतिक भाषण, एक प्रभावशाली विवादात्मक पत्रकारिता, आयोजित समाज के लिए किया गया कोई कार्यक्रम, एक दार्शनिक प्रणाली, का ऐसे निर्माण कर सकते हैं कि देखने में वो आसान, अच्छी तरह संरचित लगे, जबकि वो एक गलती और एक झूठ की नींव पर बने हैं; और छिपे हुए तत्व, विरूपण, तुरंत दिखाई नहीं देंगे। और एक भाषण, या एक पत्रकारिता सम्बन्धी निबंध, या खंडन में किया एक कार्यक्रम , या एक अलग दार्शनिक संरचना उस पहले वाले के विरोध में रखे जा सकते हैं - और वो भी बिलकुल उतने ही अच्छे से निर्मित और आसान लगेंगे, और सब कुछ उचित लगेगा। और इसलिए हमको उनमें विशवास है - साथ ही हमें उन पर कोई विशवास नहीं है।
जो दिल की पुष्टि नहीं करता, उसका अनुमोदन करना व्यर्थ है। इसके विपरीत, एक कलात्मक कृति अपने अंदर ही अपनी खुद की पुष्टि रखती है: जो विचार मनघड़ंत या ज़रूरत से ज़्यादा खींचे जा रहे है, उन्हें जब छवियों में व्यक्त किया जाए तो वो ठीक नही लगेंगे , वो किसी न किसी तरह से बिखर जाएंगे और कमज़ोर, फ़ीके, और किसी को भी विश्वसनीय नहीं लगेंगे। जो काम सच्चाई में डूबे हुए होते हैं और जो उस सच को हमारे लिए ताजा और सजीव तरीके से पेश करते हैं, वो हमें प्रभावित करते हैं, वो हमें अपनी ओर एक महान शक्ति से आकर्षित करते हैं - और कोई भी कभीभी, समय गुज़रने के बाद भी, उसे नकारने की कोशिश नहीं करेगा। और शायद सच, अच्छाई और सुंदरता की ये पुरानी त्रिगुणात्मकता कोई औपचारिक घिसा -पिटा फार्मूला नहीं है जैसा हमें अपनी उतावली युवावस्था में लगता था। अगर इन तीनों वृक्षों की चोटियां आपस में मिल जाएं, जैसा कि जांचने और खोजने वाले कहते थे, और अगर साफ़ दिखाई देने वाली, सत्य और अच्छाई की बहुत सीधी शाखाएं कुचली जाएं या टूट जाएं और प्रकाश तक न पहुंच सकें - फिर भी शायद सौंदर्य की अद्भुत, अप्रत्याशित (unpredictable,), आकस्मिक (unexpected) शाखाएं अपना रास्ता बना लेंगी और उसी स्थान तक पहुंच जाएंगी और इस तरह उन तीनों का काम कर लेंगी।
और उस स्थिति में दोस्तोयेवोस्की का यह कहना कि "सौंदर्य दुनिया को बचाएगा”, कोई उनके मुँह से यूँ ही निकली बात नहीं है, बल्कि एक भविष्यवाणी है। आखिर, उनमें बहुत कुछ देखने का हुनर था, वो असाधारण रूप से प्रतिभाषाली थे।
और फलस्वरूप शायद कला, साहित्य, वास्तव में आज की दुनिया को मदद कर सकते हैं।
विचार के लिए कुछ मूल प्रश्न: सौंदर्य से आप क्या समझते हैं? क्या आप अपना कोई अनुभव बांटना चाहेंगे जो दर्शाता हो कि सौंदर्य, सच और अच्छाई का भी काम करता है? ऐसी कौनसी साधना है जो आपको इस सैंदर्य को अपने काम और जीवन में लाने में मदद करती है?
यह लेख नोबेल पुरस्कार विजेता एलेक्सेंडर सोल्ज़ेनित्सिन द्वारा लिखित है।