The Surrender Experiment

Author
Michael Singer
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Image of the Weekसमर्पण प्रयोग

--माइकल सिंगर (२९ जुलाई, २०१५)

ज़िंदगी शायद ही कभी वैसे चलती है जैसा हम चाहते हैं। लेकिन अगर हम रुक कर इस बारे में सोचें तो यह बात हमें ठीक से समझ आएगी। जीवन का विस्तार सर्व-व्यापक है, और यह बात कि जीवन की घटनाओं पर हमार ज़ोर नहीं है, यह तथ्य अपने आप ही स्पष्ट होना चाहिए। यह ब्रह्माण्ड 13.8 अरब वर्षों से चल रहा है, और जो प्रक्रियाएं हमारे आस-पास के जीवन के प्रवाह को नियत करती हैं, वो तब शुरू नहीं हुईं थीं जब हमारा जन्म हुआ था, न ही वो हमारी मृत्यु के समय ख़त्म हो जाएंगी। किसी भी पल जो कुछ हमारी आँखों के सामने दिखाई देता है, वह वास्तव में बहुत अद्भुत है - यह अरबों वर्षों से एक दूसरे से काम करती विभिन्न शक्तियों का परिणाम है। जो हमारे सामने प्रकट हो रहा है, हम उसके छोटे से छोटे भाग के लिए भी ज़िम्मेवार नहीं हैं। उसके बावजूद, हम लगातार अपने जीवन में जो होगा, उसे नियंत्रित और निर्धारित करने में लगे रहते हैं। इसमें कोई हैरानी नहीं है कि दुनिया में इतना तनाव, चिंता और भय है। हममें से हर एक असल में यह सोचता है कि हर चीज़ को सृजन की सभी शक्तियों का सहज परिणाम होने की बजाए वैसा होना चाहिए जैसा हम चाहते है।

हर दिन, हम अपने सामने उभरती सच्चाई को भूलकर अपने मन के विचारों को ज़्यादा तूल देते हैं। हम नियमित रूप से ऐसी बातें कहते हैं, जैसे, "बेहतर होगा कि आज बारिश न आए क्योंकि मैं कैंपिंग के लिए जा रहा हूँ", या "बेहतर होगा कि मेरे वेतन में वृद्धि हो जाए क्योंकि मुझे इस पैसे की सख्त ज़रूरत है।" ध्यान दो कि क्या होना चाहिए या नहीं होना चाहिए, ये बड़ी-बड़ी बातें किसी वैज्ञानिक प्रमाण पर आधारित नहीं हैं; ये असल में पूरी तरह से हमारे मन में बनी व्यक्तिगत धारणाओं पर आधारित हैं। इस बात को बिना समझे, हम अपने जीवन में हर चीज़ के साथ ऐसा करते हैं - जैसे कि हम सच में विश्वास करते हैं कि हमारे आसपास की दुनिया हमारी अपनी पसंद और नापसंद के अनुसार चलनी चाहिए। अगर वो ऐसे नहीं चलती, तो ज़रूर इसमें कुछ गलत बात है। यह जीने का अत्यंत कठिन तरीका है, और यही कारण है कि हम ऐसा महसूस करते हैं कि हम हमेशा अपने जीवन से जूझ रहे हैं।

साथ ही यह भी सच है कि हम अपने आसपास होती हुई घटनाओं के सामने शक्तिहीन नहीं हैं। हमें आत्मबल की शक्ति मिली है। अपने अंदर की गहराई से हम यह निश्चित कर सकते हैं कि हम किसी चीज़ को कैसा देखना चाहते हैं और बाहर की दुनिया को इसके उनुसार चलाने के प्रयत्न में हम उस पर अपने दिल, दिमाग और शरीर की ताकत को लगा सकते हैं। लेकिन इससे जो हम चाहते हैं और जिस तरीके से हमारे हस्तक्षेप के बिना दुनिया होगी, इन दोनों के बीच निरंतर विरोध बना रहता है। व्यक्तिगत इच्छा और हमारे आस-पास उभरती ज़िंदगी की सच्चाई के बीच होने वाली यह लड़ाई हमारे जीवन पर हावी हो जाती है। जब हम इस लड़ाई में जीत जाते हैं, तो हम खुश और अच्छा महसूस करते हैं; और जब हम नहीं जीतते तो हम परेशान और दुखी हो जाते हैं। क्योंकि हममे से ज़्यादातर लोग तभी खुश होते हैं जब चीज़ें हमारी इच्छा के अनुसार चल रही होती हैं, इसलिए हम लगातार अपने जीवन में हर चीज़ को नियंत्रित करने का प्रयास करते रहते हैं।

सवाल यह है कि क्या ऐसा ही होना ज़रूरी है? ऐसा बहुत से सबूत मौजूद हैं कि जीवन अपने आप भी बहुत अच्छी तरह से चल सकता है। ग्रह अपने कक्षों में चलते हैं, नन्हें बीज विशाल पेड़ बन जाते हैं, लाखों वर्षों से मौसम की नियमतता से पूरी दुनिया के जंगलों को पानी मिलता रहा है, और एक अकेली निषेचित कोशिका बढ़कर एक खूबसूरत बच्चा बन जाता है। हम इन सब में से कुछ भी समझ-बुझ कर नहीं कर रहे हैं, ये सब तो हमारी समझ से बाहर, जीवन की सम्पूर्णता के द्वारा किया जा रहा है। ये सब अद्भुत घटनायें, और बहुत सी और घटनाएं, लाखों वर्षों से मौजूद जीवन की शक्ति के कारण हो रही हैं - जीवन की वही शक्तियां जिनके खिलाफ हम रोज़ाना जानबूझ कर अपने आत्मबल को भिड़ा रहे हैं। अगर जीवन की प्रक्रिया प्राकृतिक रूप से इस पूरे ब्रह्माण्ड को पैदा कर सकती है और उसको ज़िंदा रख सकती है, तो क्या हमारा यह सोचना ठीक है कि जब तक हम किसी चीज़ को होने पर मज़बूर नहीं करेंगे तब तक कुछ अच्छा नहीं होगा? कोई बेहतर नाम न मिलने की वजह से, मैंने इसे “समर्पण प्रयोग” का नाम दिया है।

विचार के लिए कुछ मूल प्रश्न: आप “समर्पण प्रयोग” से क्या समझते हैं? क्या आप अपना कोई व्यक्तिगत अनुभव बाँटना चाहेंगे जहाँ आपने अपने वातावरण को नियंत्रित करने की बजाए चेतन भाव से समर्पण करने की सोची हो? ऐसी कौनसी साधना है जो आपको जीवन की प्राकृतिक शक्तियों की ओर जागरूकता बढ़ाने में और उनके अनुरूप बन जाने में मदद करती है?

माइकल सिंगर “निर्बाधित आत्मा” (अंटैदर्ड सोल) के लेखक हैं और ऊपरी अंश उनकी आगामी पुस्तक, “समर्पण प्रयोग” से लिया गया है।
 

Michael Singer is the author of Unthered Soul and above excerpt is from his upcoming book, The Surrender Experiment.


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