The Power of Art

Author
John F. Kennedy
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Image of the Weekकला की शक्ति
-- जॉन ऍफ़. कैनेडी ( २ सितंबर, २०१५)

शक्ति कई रूप लेती है, और जो रूप आमतौर पर दिखते हैं, वो हमेशा सबसे महत्त्वपूर्ण नहीं होते। जो लोग शक्ति उतपन्न करते हैं, वो देश की महानता के लिए बहुत ज़रूरी योगदान देते हैं, लेकिन जो लोग शक्ति पर प्रश्न उठाते है, वो भी उतना ही बड़ा योगदान देते हैं, खासतौर पर जब वो जवाब-सवाल पक्षपात-रहित होता है, क्योंकि वो इस बात का निर्धारण करते हैं कि हम शक्ति का प्रयोग करते हैं या शक्ति हमारा प्रयोग करती है।

रोबर्ट फ्रॉस्ट ने कविता और सत्ता को संयोजित किया, क्योंकि उन्होंने कविता को सत्ता को अपने आप से बचाने का माध्यम समझा। जहाँ सत्ता लोगों को अहंकार की और धकेलती है, वहां कविता उन्हें अपनी सीमाओं की याद दिलाती है। जब शक्ति इंसान के मतलब के दायरों को संकरा कर देती है, तब कविता उसे अपने अस्तित्व की प्रचुरता और विविधता का ध्यान दिलाती है। जहाँ शक्ति इंसान को भ्र्ष्टाचारी बनाती है, कविता उसे निर्मल बनाती है। क्योंकि कला ऐसे मूल मानवीय सत्य को स्थापित करती है जिसे हमारी सोच का मापदंड होना चाहिए।

कलाकार भले ही सच्चाई के बारे में अपने दृष्टिकोण के लिए कितना भी निष्ठावान हो, फिरभी वो हर चीज़ में दखल देने वाले समाज और निरंकुश सत्ता के खिलाफ, व्यक्तिगत मन और संवेदनशीलता का सबसे बड़ा समर्थक बन जाता है…असलियत के बारे में अपनी सोच का अनुसरण करते हुए, उसे आमतौर पर समय के प्रवाह का सामना करना पड़ता है। यह एक बहुत लोकप्रिय काम नहीं है।

अगर कभी-कभी हमारे महान कलाकार समाज के बारे में इतने आलोचनात्मक रहे हैं, तो वो इसलिए कि उनकी भावुकता और न्याय के बारे में उनकी चिंता, जो किसी भी सच्चे कलाकार को प्रेरणा देंगी, उन्हें इस बात का अहसास दिलाती है कि हमारा देश अपने सम्पूर्ण सामर्थ्य से कम काम कर रहा है। मैं समझता हूँ कि हमारे देश और हमारी सभ्यता के भविष्य के लिए कलाकार के महत्त्व को समझने से अधिक कोई चीज़ महत्त्वपूर्ण नहीं है।

अगर कला का काम हमारी संस्कृति की जड़ों का पोषण करना है, तो समाज को कलाकार को अपने सपनों को साकार करने की चाह को पूरा करने देना होगा, भले ही वो सपने उसे जहां भी ले जाएं। हमें यह भूलना नहीं चाहिए कि कला कोई मतप्रचार करने का तरीका नहीं है; यह सच्चाई का एक रूप है… एक स्वतन्त्र समाज में कला कोई हथियार नहीं है और यह विवाद और सिद्धांत के क्षेत्र से सम्बन्ध नहीं रखती। कलाकार आत्मा के निर्माता नहीं होते। दूसरी जगहों में शायद कुछ अलग होता होगा । लेकिन लोकतान्त्रिक समाज में लेखक, रचयिता, कलाकार का सबसे बड़ा कर्त्तव्य है सच्चाई का साथ देना, फिर चाहे जो भी हो जाए। सच्चाई के अपने इस सपने को साकार करते हुए, कलाकार अपने देश के काम आता है। और जो देश कला के लक्ष्य का तिरस्कार करता है, उसका वही हाल होता है जो रॉबर्ट फ्रॉस्ट के भाड़े के मज़दूर का हुआ, “ न भूत में कुछ ऐसा जिस पर गुमान हो, और न भविष्य से कुछ उम्मीद रह जाए ।”

विचार के लिए कुछ मूल प्रश्न: आप लेखक के इस विचार से क्या समझते हैं कि कलाकार का सबसे बड़ा कर्त्तव्य है सच्चाई का साथ देना, फिर चाहे जो भी हो जाए? क्या आप अपना कोई व्यक्तिगत अनुभव बांटना चाहेंगे जब आपने कला के माध्यम से सच्चाई का साथ दिया हो? ऐसा क्या है जो आपको अपने कलात्मक सामर्थ्य को पहचानने और उसका सम्मान करने में मदद करता है?

अमरीकी राष्ट्रपति जॉन एफ. कैनेडी का एमहर्स्ट कॉलेज में दिया भाषण
 

US President John F. Kennedy's remarks at Amherst College.


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