The Pleasure of Serving

Author
Gabriela Mistral
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सेवा का सुख
-गैब्रिएला मिस्ट्रल (५ अगस्त, २०१५)

सम्पूर्ण प्रकृति सेवा के लिए एक चाह है:
सेवा करते हैं, वो बादल, और वो हवा, और वो कुंड।

जहां एक पेड़ बोने की ज़रूरत है, उसे तुम बोओ।
जहां कोई गलती सुधारने की ज़रूरत है, उसे तुम सुधारो।

तुम्ही वह बनो जो हटाए खेत से चट्टान,
मनुष्य के मन से घृणा,
और परेशानियों से मुश्किलें।

विवेकी और निष्पक्ष होने में खुशी है,
लेकिन उससे कहीं ज़्यादा सुंदर है,
सेवा करने का अपार सुख।

यह दुनिया कितनी उदास होती अगर यहां पहले से ही सब कुछ किया जा चुका होता।
अगर एक भी गुलाब का पौधा लगाने को न होता,
कोई नया काम शुरू करने को न होता।

खुद को आसान काम करने पर ही सीमित मत रखो।
वो करना कितना खूबसूरत है जिससे और लोग बचना चाहते हैं।

लेकिन इस गलती के शिकार मत बनो कि केवल
किये हुए महान कार्य ही उपलब्धियों में गिने जा सकते हैं।
बहुत से छोटे-छोटे सेवा के कार्य हैं जो बहुत अच्छे है:
अच्छी तरह से एक मेज़ लगाना,
किन्हीं किताबों को करीने से लगाना,
एक छोटी बच्ची के बाल संवारना।
जो वहाँ पर है वह निंदा करता है
वो जो दूसरा है वो सब नष्ट कर देता है
तुम वो बनो जो सेवा करे।

सेवा करना सिर्फ निम्न स्तर के प्राणियों का ही काम नहीं है।
भगवान जो फल और प्रकाश देता है, वो सेवा करता है।
उसका नाम इस प्रकार लिया जा सकता है - वो जो सेवा करता है।

और उसकी निगाहें हमारे हाथों पर हैं,
और वो दिन के अंत में हमसे पूछता है:
“क्या आज तुमने सेवा की? किसकी?
किसी पेड़ की, किसी दोस्त की, अपनी माँ की?”

-- गैब्रिएला मिस्ट्रल


विचार के लिए कुछ मूल प्रश्न: आप इस बात से क्या समझते हैं कि सेवा सिर्फ निम्न वर्ग के प्राणियों का काम नहीं है? क्या आप अपना कोई व्यक्तिगत अनुभव बांटना चाहेंगे जहां आपने जो और लोग नहीं करना चाहते, उसे करने में आनंद महसूस किया हो? हम सेवा के छोटे-छोटे कार्यों में गहरी खुशी महसूस कर पाने के लिए अपने आप को कैसे विकसित कर सकते हैं?

गैबरिएला मिस्ट्रल ने 1945 में साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार प्राप्त किया। यह कविता ताल नमक संग्रह में से ली गयी है और जनवरी 1953 में होसे मार्टी के जन्म की 100 वीं वर्षगांठ के अवसर पर सुनाई गयी थी।
 

Gabriela Mistral received the 1945 Nobel Prize for Literature. This poem is from the collection Tala recited on the occasion of the 100th anniversary of José Martí’s birth, in January 1953.


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