Habits Of The Heart

Author
Parker Palmer
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Image of the Weekदिल की आदतें
पार्कर पाल्मर


" दिल की आदतें " ( अलेक्सिस दे टॉक्वेविल्ले द्वारा दी गयी संज्ञा है ) दुनिया को देखने के, अपने अस्तित्व के और जीवन जीने के तरीके को दी गयी संज्ञा है जिसमें हमारा मन, भावनाएं, आत्म -छवि, सार्थकता की हमारी परभाषा शामिल है। मेरा मानना है के दिल की ये पांच आपस में जुडी हुई आदतें समाज को संजोने के लिए बोहोत जरुरी हैं।

१) ये समझ के इस दुनिया में हम सब साथ हैं।

जीव-विज्ञानियोने, पर्यावरण-विज्ञानियोने, अर्थशास्त्रियोने, नैतिकतावादियोने और धर्म-गुरुओंने सभी ने यही कहा है। व्यक्तिवाद और राष्ट्रीय श्रेष्ठता के ब्रह्म के बावजुद हम मनुष्य बोहोत ही जुड़े हुए सामाजिक प्राणी हैं, हम एक दूसरे से और सभी जीवों से जुड़े हुए हैं, वैश्विक आर्थिक और पर्यावरण विपदाएं इस सत्य को बोहोत ही भयानक विवरण से प्रस्तुत करती हैं। हमें इस बात को स्वीकार करना चाहिए के हम एक दूसरे पर निर्भर और एक दूसरे के प्रति ज़िम्मेदार हैं, और उस दूसरे में वो अनजान व्यक्ति भी शामिल है, वो " पराया। " ठीक उसी समय पर हमें निर्भरता की अति से भी बचाना होगा जो इस स्वप्न को असंभव बना सकता है। लोगों को हमेशा वैश्विक, राष्ट्रीय और स्थानीय निर्भरता के लिए प्रोत्साहित करना एक आदर्श स्तिथि है जो केवल संतों द्वारा प्राप्त की जा सकती है, हमें ये आदत आत्मप्रतारणा और हार के सिवाय और कुछ नहीं देगी। इसलिए हम दिल की दूसरी महत्वपूर्ण आदत पर जाते हैं...

२) " भिन्नता " का महत्व समझना।

ये सत्य है की इस जीवन में हम सब साथ हैं। ये भी सत्य है के हम हमारा ज़्यदातर जीवन कबीलों या कुनबों में बिताते हैं - और दुनिया को अपने और दूसरों में बंटा हुआ देखते हैं, ये मानवीय मन की एक बोहोत बड़ी सीमा है। अच्छी खबर ये है के " हम और वो " का मतलब " हम बनाम वो " नहीं होना चाहिए है। बल्कि, इससे हमें हमारी पुराणिक " अतिथि देवो भाव" की परंपरा याद आनी चाहिए, और हमें इस परंपरा को इक्कीसवीं सदी में लाना चाहिए। अतिथि सत्कार का सही अर्थ है के हम ये समझें के हम अतिथि से बहुत कुछ सीख सकते हैं। इससे हम दूसरों को अपने जीवन में आने के लिए प्रोत्साहित करते हैं ताके हमारा जीवन विशाल हो, उन लोगों को भी जो हमें बिलकुल ही पराये लगते हैं। और हाँ, हम गहरा सत्कार तब तक नहीं करेंगे जब तक हम हमारी विविधता में निहित विकास की रचनात्मक सम्भावनो को नहीं देखते। जो हमें दिल की तीसरी बोहोत जरुरी आदत पे ले जाता है...

३) तनाव को जीवन-दायक तरीके से संभालना।

हमारा जीवन अंतर्विरोधों से भरा हुआ है - हमारी आकांक्षाओं और हमारे व्यवहार में भेद से लेकर, अवलोकन और अंतर्दृष्टि जिन पर हम अमल नहीं कर सकते क्यूंकि वे हमारी धारणा से विपरीत है। अगर हम इन विरोधाभासों को रचात्मक रूप से नहीं संभालेंगे तो, वे हमें निष्क्रिय कर देंगी। पर जब हम इस तनाव को हमारे मन का विस्तार करने में उपयोग करते हैं तो हमें नयी समझ मिलती है अपने और दुनिया के बारे में, हमारा जीवन उन्नत होता है और हम दूसरों का जीवन भी उन्नत बनाते हैं। हम अपूर्ण और टूटे हुए जीव हैं जो के अपूर्ण और टूटी हुई दुनिया में रहते हैं। मानव मन की प्रतिभा इस में है के कैसे इस तनाव को अंतर्दृष्टि, ऊर्जा और नव-जीवन की उत्पति के लिए उपयोग में लिया जाय। इन उपहारों का सबसे अच्छा उपयोग करने के लिए हमें दिल की चौथी सबसे जरुरी आदत की जरुरत पड़ेगी ...

४) अपनी निजी आवाज़ और साधन।

अंतर्दृष्टि और ऊर्जा से हमें नया जीवन मिलता है और हम सत्य के हमारे अनुभव को बोलते और जीते हैं, दूसरों के सत्य के सामने अपने सत्य को परखते और टटोलते हुए। पर हम में से कई लोगों को अपने अंदर की आवाज़ पर विशवास नहीं होता, और अपने सामर्थ्य पर के हम कुछ बदलाव ला सकते हैं। हम ऐसी शैक्षणिक और धार्मिक संस्थाओं में बड़े होते हैं जहाँ हमें केवल मात्र एक दर्शक की तरह देखा जाता है, न के नाटक में भाग लेते कलाकारों की तरह, इसका नतीजा ये होता है के वयस्क होकर हम राजनीति को केवल एक देखनेवाला खेल ही समझते हैं। पर हम सभी के लिए ये कभी भी संभव है, चाहे हम बूढ़े हों या जवान के हम अपनी आवाज़ ढूंढे, उसे बोलें और उस आवाज़ से आए सकारात्मक बदलाव से संतोष का अनुभव करें - अगर हमारे पास समाज का समर्थन हो तो। और इसलिए हम दिल की पांचवी और आखरी आदत पर आते हैं...

५) समाज बनाने का सामर्थ्य।

एक समाज के बिना अपनी आवाज़ होना लगभग असंभव है : एक पूरा गाँव लगता है एक रोसा पार्क्स को बड़ा करने में। एक समाज के बिना " एक की शक्ति " का ऐसा उपयोग असंभव है जिससे कइयों को शक्तिवान बनाया जा सके : एक पुरे गाँव के प्रोत्साहन से रोसा पार्क्स अपने निजी शुद्धता की क्रिया को एक सामाजिक बदलाव में परिवर्तित कर पायी। हमारी दुनिया में समाज बना-बनाया नहीं मिलता। पर हमारे रहने और काम करने की जगह पर लोगों को संगठित करने का ये मतलब नहीं है के हम हमारे जीवन के दूसरे हिस्सों को छोड़ दें और पूर्णकालिक संगठक ही बन जाएँ। केवल दो या तीन सामन विचार वाले मित्रों की नैतिक शक्ति से हम अपनी बात रख सकते हैं और नागरिक की तरह काम भी कर सकते हैं। अपने निजी और स्थानीय जीवन में समाज बनाने के कई अवसर मिलते हैं। हम सभी को समाज की बगिया का माली बनना पड़ेगा अगर हम चाहते हैं के सपूर्ण विश्व का विकास हो।

मनन के लिए बीज प्रश्न :
दिल की पांच आदतों को आप कैसे समझते हैं ?
क्या आप अपना निजी अनुभव बता सकते हैं जब इन पांच आदतों ने आपकी जीवन जीने में मदद की हो ?
इन आदतों को बनाने में आपको क्या मदद करता है ?



पार्कर पाल्मर की दिल की पांच आदतों में से।

अनुवादक की नोट :
रोसा पार्क्स का पूरा नाम रोसा लोइसे मक्कौले पार्क्स था। उनका जन्म ४ फरवरी, १९१३ में हुआ था, और मृत्यु २४ अक्टूबर, २००५ में हुई। रोसा पार्क्स संयुक्त राज्य अमेरिका में नागरिक आंदोलन की कार्यकर्ता थीं। अमेरिकी कांग्रेस ने उन्हें " नागरिक अधिकारों की प्रथम महिला " और " स्वतंत्रता आंदोलन की माँ " की उपाधियों से सम्मानित किया है।

१ दिसंबर, १९५५ , मोंट्गोमेरी, अल्बामा में रोसा पार्क्स ने बस ड्राइवर जेम्स फ. ब्लैक के अपनी सीट खली करने के आदेश का पालन करने से मना कर दिया ताके एक श्वेत व्यकित उनकी जगह बैठ सके। इस घटना ने नागरिक अधिकारों के आंदोलन को बोहोत बल दिया। उनके बारे में और जानकारी के लिए इस कड़ी का उपयोग करें - https://en.wikipedia.org/wiki/Rosa_Parks
 

From Parker Palmer's Five Habits of the Heart.


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