All We Can Do Is Share Ourselves

Author
Panache Desai
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Image of the Weekहम सिर्फ खुद को बाँट सकते हैं
- पानाष देसाई (१३ अगस्त, २०१४ )

हममें से बहुत से लोग ऐसा मानते हैं कि हमें कुछ करना ज़रूरी है। हमें इस दुनिया को बदलने के लिए कुछ करना ज़रूरी है। हमारी ज़िंदगी में कोई बड़ा संकल्प, कोई लक्ष्य, एक परम उद्देश्य होना ज़रूरी है। और जबकि कर्म की अहमियत है, लेकिन इस दुनिया में "हम खुद कैसे हैं," वह ज़्यादा महत्त्वपूर्ण है।

सोचकर देखिये: अगर आप अपने आप से खुश हैं, तो आप इस दुनिया पर पहले से ही अच्छा असर डाल रहे हैं। हम पैसा दान कर सकते हैं, या मदद का सामान भेज सकते हैं, या किसी आश्रय में काम कर सकते हैं, लेकिन पहला काम हमें ये करना होगा कि हम अपनी चेतना की राह के बारे में सोचने की ज़िम्मेवारी उठाएं। अगर हम अपने आप से अच्छा सम्बन्ध बना सकें और उस स्थिति में पैदा होने वाले कम्पन को दुनिया में फैला सकें, तो हम ही वास्तविक बदलाव हैं।

बात परिमाण की नहीं है। ये बाहरी योगदान की भव्यता की बात भी नहीं है। अगर हम अपने सब भागों को इकट्ठा कर लें और उन्हें प्यार करें, तो वह प्यार संक्रामक बन जाता है। इस तरह की शक्ति से उठने वाली तरंगों का प्रभाव अद्भुत होता है - एक तरह से जो भी बाहरी योगदान आजतक दिए गये हैं, उनसे कहीं अधिक। क्योंकि हम जितना अपने अंदर शांति महसूस करते हैं, उतनी ही हमारी सामूहिक शक्ति बदलेगी, और सुख और शांति के रास्ते में जो भी बाधाएँ हैं उन्हें हटना ही होगा।

सिर्फ यही करने को रह गया है। जैसे ही हम जो भी हैं हमने उसे वैसे ही स्वीकार कर लिया, एक बार जब हम उस शान्ति की ऐसी अवस्था पर पहुँच गए, तो हम सिर्फ यही कर सकते हैं कि हम खुद को औरों से बाँट लें। खुद को औरों के नाम कर दें। खुद को जितने लोगों से बाँट सकें, बाँट लें। फिर हम दूसरों का उद्धार करने में अपनी सम्पूर्णता को खोजना छोड़ देंगे, क्योंकि हम जान जाएंगे की हम पहले से ही सम्पूर्ण हैं। फिर प्यार ही एक ऐसी चीज़ है जो बचेगी।

आज रात, हम जब बत्ती बुझाने लगें, हमें जान लेना है कि एक दिन ऐसा आएगा जब हमें योगदान देने का बुलावा मिलेगा। जब ऐसा होगा हमें खुद ही मालूम चल जाएगा। हम उसे पहचान लेंगे। हम उस वक्त ये नहीं सोचेंगे कि हमें यह करना चाहिए कि नहीं, न ही हम अपने इरादों पर प्रश्न उठाएंगे। हम आसानी से - मान और सम्मान से, और पूरे दिल से - वो करेंगे जिसकी ज़रुरत है।

विचार के लिए कुछ मूल प्रश्न: "खुद को बांटने" से आप क्या समझते हैं? क्या आप अपना कोई व्यक्तिगत अनुभव बांटना चाहेंगे जब आप अपने जीवन में शांति की ऐसी अवस्था में पहुँच गए हों कि आप खुद को बांटने के लिए विचलित हो उठें हों? हम ऐसी शान्ति की अवस्था पर पहुंचने के लिए खुद को कैसे तैयार कर सकते हैं?

पानाष देसाई आधुनिक विचारधारा के मार्गदर्शक हैं, जो प्यार और आत्म-स्वीकृति के पैगाम बाँट रहे हैं। वे ओमेगा इंस्टिट्यूट में पढ़ाते है। यह लेख उनकी पहली पुस्तक: "अपने आत्म-हस्ताक्षर की खोज" में से लिया गया है।
 

Panache Desai is a contemporary thought leader whose shares messages of love and self acceptance.  He is on the faculty at Omega Institute.  The excerpt above is from his first book: Discovering Your Soul Signature


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