Should We Spend Time Like Money?

Author
Stefan Klein
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Image of the Weekक्या हमें समय को पैसे की तरह खर्चना चाहिए?

- स्टेफान क्लाइन, शैली फ्रिश द्वारा अनुवादित
(२ अप्रैल​, २०१४ )

बेंजमिन फ्रेंकलिन ने एक बार कहा था : समय पैसा है। उन्होंने यह बात सिर्फ हमें यह याद दिलाने के लिए कही थी कि ह्म अपना आधा दिन बेकार बैठने में न गंवा दें। उन्हें शायद यह देखकर काफी निराशा होती कि आज हम उनके इस वचन को कैसे शाब्दिक और आत्म-विध्वंसक रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। जैसा पहले कभी नहीं हुआ, आज हमारा समाज हर एक मिनट की गिनती करने में जुड़ा है। लोग बैंकिंग की भाषा भी इस्तेमाल करते हैं: हम "होने" और "बचाने" और "निवेश (investing)" और "गंवाने" के बारे में बात करते हैं।

लेकिन समय को पैसे की तरह इस्तेमाल करने का ये जुनून पूरी तरह विफल ही होने वाला है, क्योंकि जो समय हम महसूस करते हैं, उसका घड़ी में दिखने वाले समय से कोई सम्बन्ध नहीं है। हमारा दिमाग अपना ही समय बनाता है, और यह आंतरिक समय है, नाकि घड़ी का समय, जो हमारे हर काम को राह दिखाता है। एक घंटे के दौरान हम बहुत कुछ कर सकते हैं - या बहुत कम।

आंतरिक समय गतिविधियों से जुड़ा होता है। जब हम कुछ नहीं करते, और हमारे आस-पास कुछ नहीं होता, तो हम समय की गति को जान नहीं पाते। १९६२ में फ़्रांस के भूवैज्ञानिक, माइकल सिफरे, एक अंधरी गुफा में कैद हो गये, और उन्होंने पाया कि उन्होंने समय गुज़रने को जानने की शक्ति खो दी। उनके हिसाब के अनुसार जब वो ४५ दिनों के बाद गुफा से बाहर निकले, तो वे यह जानकर हैरान हो गए कि असल में पूरे ६१ दिन गुज़र चुके थे।

समय को मापने के लिए, हमारा दिमाग ऐसे सर्किटों का इस्तेमाल करता है जो शारीरिक गतिविधियों को जांचने के लिए बने हैं। दिमाग के डॉकटरों ने इस तथ्य को कम्प्यूटर की मदद चलने वाले फंक्शनल ऍम. आर. आई. द्वारा बनाए चित्रों से देखा है। जब पात्रों से कहा गया कि वे बताएं कि उन्हें चित्रों की एक श्रृंखला को देखने में कितना समय लगता है, तो उनके दिमाग के उन हिस्सों में ज़यादा गतिविधि बढ़ती है जो शारीरिक गतिविधि का संचालन करते हैं, खासतौर पर सेरेबेलम, बेसल गैंग्लिया और सप्लीमेंट्री मोटर क्षेत्र। इससे पता चलता है कि हमारे अंदर का समय हमारे शरीर की चाल के आधार पर तेज़ या हौले चल सकता है - जैसा कि कोई भी ताई ची मास्टर जानते हैं।

दिमाग की समय को विकृत करने की यह प्रवृत्ति ही एक कारण है कि हम ज्यादातर समझते हैं कि हमारे पास समय बहुत कम है। एक सर्वेक्षण के अनुसार तीन में से एक अमरीकी हमेशा यह महसूस करता है कि वह जल्दी में है। समय को ठीक से इस्तेमाल करने की अच्छी से अच्छी तकनीक भी हमारी ज़िंदगी के कुल मिनिटों को बढ़ाने में नाकामयाब रहती है (करीब ५२० लाख, अगर हम बहुत आशावादी होकर यह मान लें की हम १०० साल जीएंगे), ताकि हम हर मिनट में इतना कुछ कर लें जितना कर सकें।

यह मानते हुए कि समय कीमती है, हमें समय की कमी चिंताजनक लगती है। इसलिए, हमारी लड़ो या भागो प्रतिक्रिया (fight or flight response) तैनात हो जाती है, और हमारे दिमाग के वो हिस्से जिन्हें हम शांति और समझदारी से अपने समय को प्लैन करने में इस्तेमाल करते हैं, वो बंद हो जाते हैं। हम बेचैन, अस्थिर और जल्दबाज़ बन जाते हैं।

चीज़ों को करने में ज़यादा समय लगता है। हम गलतियां करते हैं - जिन्हें सुधारने में और भी समय लगता है। हम में से कौन ऐसा है जो ताला बंद करके चाबी घर के अंदर न भूल गया हो या जिसने जल्दी में अपना बटुआ न खो दिया हो। समय की कमी का अनुभव सच हो जाता है: हम इसलिए तनाव में नहीं रहते क्योंकि हमारे पास समय नहीं है, बल्कि हमारे पास समय इसलिए नहीं है क्योंकि हम तनाव में रहते हैं।

- ​स्टेफान- क्लाइन, शैली फ्रिश द्वारा अनुवादित

विचार के लिए कुछ मूल प्रश्न: आप इस बात से क्या समझते हैं कि हमारे पास बिलकुल वक्त नहीं है क्योंकि हम तनाव में रहते हैं? यह विश्वास जगाना कि, "मेरे पास समय है" आपको कैसे मदद करता है? क्या आप अपना कोई व्यक्तिगत अनुभव बांटना चाहेंगे जब आपने आंतरिक समय और बाहरी गतिविधियों में सम्बन्ध देखा हो?


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