Be Love Now

Author
Ram Dass
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Image of the Weekअभी प्रेम बनो

कल्पना कीजिए की आप जिसे जानते ही नहीं उससे आपको अधिक प्रेम मिल रहा है| आप जब बच्चे थे तब आपके माँ और पापा से मिले हुए प्रेम से भी अधिक प्रेम - या आपको सबसे ज्यादा चाहने वाले से भी अधिक प्रेम आपको मिल रहा है| और आपको प्रेम देने वाला आपसे कुछ नहीं चाहता | वह आपसे किसी भी तरह की व्यक्तिगत अपेक्षा नहीं रखता, वह बस आपको पूर्ण रूप से चाहता है|

आप जैसे हो वेसे ही आपको प्रेम दिया जा रहा है| उस प्रेम को लेने के लिए आपको कुछ करने की जरुरत नहीं है| आपकी खामिया, आपके आत्म सन्मान की कमी, शारीरिक, आर्थिक या सामाजिक स्थिति - ये कुछ भी मायने नहीं रखता | आपको मिलने वाला प्रेम कोई आपसे छीन नहीं सकता, वह हमेशा आपके साथ रहेगा|

कल्पना कीजिए की इस प्रेम में रहना वह एक गर्म स्नान जैसा है जिसमे आप आराम करते हो और चारो और से आपके मन के हर एक आन्दोलन को समर्थन मिल रहा है| हर विचार और भावना उसमे भीग चुके है| आप पुरी तरह से प्रेम में डूबा हुआ महसूस करते हो|

यह प्रेम असल में आप ही का एक हिस्सा है| वह हमेशा आपमें बहता है| यह ब्रह्माण्ड की एक बनावट है - उस काले पदार्थ की तरह जो सबको जोड़े रखता है| जब आप उस बहाव में बहेते हो तब आप उसे अपने दिल से महसूस करते हो - आपके शारीरिक या भावनात्मक दिल से नहीं लेकिन आपके आध्यात्मिक दिल से| आपके सीने की वह जगह जो आप "में हु" बोलते वक्त निर्देशित करते हो|

यह आपका गहरा दिल है, आपका सहज दिल| ये वह जगह है जहा आपका उच्च मन, शुद्ध जागरूकता, सूक्ष्म भावनाए और आपके आत्मा की पहचान सब एक जगह इकठ्ठे होते है और आप इस विश्व से जुड़ते हो| जहा पर उपस्थिति और सच्चाई पाए जाते है|

बिना शर्त का प्रेम वास्तव में हम सब के अन्दर मोजूद है| यह हमारे भीतर का एक हिस्सा है| यह कोई सक्रिय भावना नहीं है| यह ऐसा नहीं है की "में तुमसे प्रेम करता हु" इस या उस कारण से या में तुमसे प्रेम करता हु अगर तुम मुझे प्रेम करो - यह तो बिना किसी वजह का प्रेम है| बिना किसी विषय का प्रेम| यह सिर्फ प्रेम में बेठने जैसा है - जहा बैठते समय खुर्शी, कमरा, सब कुछ एक दुसरे में विलीन हो जाते है| हर वक्त सोचता रहता मन प्यार में बुज़ जाता है|

अगर में अपने अन्दर की उस जगह पर जाऊ जहा प्रेम बसा हुआ है, अगर आप अपने मन की उस जगह पर जाए जहा प्रेम बसा हुआ है, तो हम दोनों मिलकर खुद एक प्रेम बनते है| फिर हम दोनों एक सच्चे प्रेम में होते है, एक स्थिति जहा पर बस हम प्रेम में रहेते है| वही एकता का दरवाज़ा है|

राम दास - "अभी प्रेम बनो" के कुछ अंश

आत्म निरिक्षण के लिए प्रश्न

आपके लिए प्रेम में वैचारिक मन को बंध करने का मतलब क्या है? क्या आप एक व्यक्तिगत अनुभव बता सकते है जब आप प्रेम की स्थिति में थे? हम अपने आपको प्रेम बनाने के लिए कैसे विकसित कर सकते है?


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