Indian homemakers hold a unique position in the fabric of family, community and the society at large. They may not be contributing to the Gross Domestic Product but in small and large, often invisible ways are incessantly contributing to Gentle Domestic Progress and are pillars of Indian social fabric in many ways.Today, this community finds itself at a curious crossroads where they are holding some old, some new and some timeless questions. How to craft freedom-for-self while working on transcending our egos? How to remain anchored through ups-and-downs of life to bring out the best-in-yourself so that we might bring-out-the-best in our families? How to hold a mind of wisdom and heart of compassion for our personal and societal evolution?
भारतीय गृहिणी का भले ही जी.डी.पी में कोई हाथ न हो, पर एक सफल परिवार एवं समाज की रचना में शायद ही किसी की भूमिका इनसे अधिक अहम् हो। भारतीय गृहिणियाँ निरंतर परिवार में और समाज में योगदान देती आ रही है, और वह भी ज़्यादातर अदृश्य रूप में। हमारा समाज आज शहरीकरण, भौतिकवाद एवं पूँजीवाद की तरफ तेज़ी से बढ़ रहा है। कुछ कोनों से नारीवाद और महिला सशक्तिकरण की भी आवाज़ें भी उठ रही है। इन सभी सामजिक धाराओं के बीच, कई महत्वपूर्ण सवाल आज गृहिणियों के सामने है - कुछ नए, कुछ पुराने और कुछ सार्वकालिक।
कैसे हम खुद की स्वतंत्रता उजागर करे और साथ ही अपने अहम् भाव (ईगो) से भी ऊपर उठ सके ? नारी-शक्ति को उजागर करे पर साथ अनासक्ति भी पुष्ट करे? जीवन के उतार-चढ़ाव से कैसे हम अविचलित रहे जिससे की हम खुद की उच्चतम संभावनाओं की ओर बढ़े और अपने परिवार की भी इस यात्रा में सहायक हो सके? मन में प्रज्ञा एवं ह्रदय में करुणा की कैसे उत्पत्ति हो जिससे की हम स्वयं एवं औरों की प्रगति में भागीदारी बने?
Linkee Arora is a masters graduate from Bits Pilani. In her role as a physics teacher at Fountainhead school, she was loved by one and all. Leaving that role was an emotional moment for her. She loves playing Ultimate Frisbee and trekking. At home, she played a key role in arranging her younger sister’s marriage before her own and herself married her “Ultimate” friend last year. She has recently launched her digital marketing project and also along with her husband, started a unique pet accessories store. She is an active member of MovedbyLove community where she participates and volunteers for Awakin Circles, Karma Kitchen and also MovedbyLove retreats. Recently, as her uncle and father were detected corona positive, and it has got her seriously reflecting on death and life. See 5 questions we asked Linkee.
लिंकि अरोरा ने बिट्स पिलानी से मास्टर्स की है. इंजीनियरिंग के बाद उन्होंने सूरत के फाउंटेनहेड स्कूल फिसिक्स पढ़ाया, और सभी विद्यार्थियों को उनके शिक्षण के साथ-साथ उनके खुशनुमा मिज़ाज़ से प्रेरणा मिली। वह अल्टीमेट फ्रिसबी खेल में बहुत माहिर है, और पर्वतारोहन में भी खूब दिलचस्पी रखती है। कुछ वर्ष पूर्व उन्होंने बहुत ही धैर्यपूर्वक अपनी छोटी बहन की शादी खुद से पहले कराने के लिए अपनी मम्मी-पापा को मनाया और खुद भी पिछले वर्ष अपने "अल्टीमेट" दोस्त हार्दिक के साथ विवाह रचा। हाल ही में उन्होंने अपना डिजिटल मार्केटिंग का काम आरम्भ किया है और अपने पति के साथ पालतू पशुओं की सुविधाओं का नया कार्य आरम्भ किया है। वह "मूव्डबाईलव" कम्युनिटी के "अवेकिन सर्कल्स", "कर्मा किचन" एवं शिविरों में अक्सर कार्यरत रहती हैं। हाल ही में, उनके पिता और चाचा को कोरोना बीमारी होने के कारण मृत्यु और जीवन चिंतन में लग्न है। लिन्की को पूछे हमने 5 सवाल।
Rupali Bhuva : As a child, Rupali grew up loving to sketch. Little did young Rupali know that her love for art will become a medium for her inner exploration much later. For almost two decades now, Rupali has coached hundreds of students each year in Mumbai. Her “art classes” are much more than that – they are a natural healing process for rebellious teens, harried professionals, and homemakers looking for a change in routine. She does not effortfully seek to change lives, but it happens for sure - one paint brush stroke at a time. Rupali is also a long distance runner, with several marathons under her belt. Despite her hectic day schedule, she tries not to miss her daily run and workout. Rupali’s love for mother nature shows up in her choices - the gifts she chooses to give, the electric car she drives. A tireless volunteer, Rupali is above everything, a mother! Her two daughters and her supportive husband make her life complete. See 5 questions we asked Rupali.
रुपाली भुवा - बचपन में रुपाली को चित्रकारी से बड़ा प्रेम था लेकिन शायद उन्हें इस बात का अंदाज़ा नहीं था यही चित्रकारी आगे जाकर उनके आत्म-मंथन का माध्यम बनेगी। पिछले 2 दशकों में मुंबई शहर में रुपाली ने यह कला कई कई छात्रों के साथ बांटी है। परन्तु इसे केवल "आर्ट क्लास" न समझे - यह एक बहुमूल्य ज़रिया बना है अंतरशोध एवं शुद्धि का आक्रोशित किशोरों के लिए, नौकरीपेशों के लिए जो कही न कही अपनी रचनात्मक प्रवृत्ति से भिछुड़ गए हैं, और अन्य गृहिणियों के रोज़मर्रा जीवन में कुछ और रंग बिखेरने के लिए। जैसे-जैसे उनके छात्रों के पेंटब्रश पन्नों को छूते है, वैसे ही रुपाली का ज़िंदादिल स्वभाव उनके जीवन पर भी अपना छाप छोड़ता चला जाता है। रुपाली का स्वास्थ्य पर भी बहुत ध्यान है - वह कई मैराथॉन भाग चुकी है। जीवन में रोज़मर्रा की दौड़ के बीच भी वह अपने सुबह के दौड़ एवं व्यायाम से कभी नहीं चूकती। माँ प्रकृति के प्रति वह बहुत सजग एवं संवेदनशील रहने का प्रयत्न करती है और सेवा कार्यो में भी वो बहुत सक्रीय है। सबसे ऊपर वह खुद को एक माँ के रूप में देखती है - उनकी 2 बेटियाँ और पति उनके जीवन के पूरक है। और देखे रुपाली के साथ 5 सवाल।
Mita Ketan Zaveri : A business manager, a social worker, a radio presenter and author Mita has donned multiple hats in her life. However, what defines her is an unmissable simplicity, sense of ease and care for those around her - perhaps ingrained in her as a child growing up in a family inspired by Gandhian values. Coming from a service-oriented environment and marrying into a business family was a pivotal event in her life, and what has followed is a life-long journey between surrender to ‘what-is’ and gentle striving to find her individual expression. She is an MA in Economics and if you are a radio fan, you may recognize her as the voice and vision behind many programs for Surat Akashwani around bridging literature with film music. She is deeply engaged with many social organizations like Jeevanbharti Mandal, Civil Hospital. She has also authored a book on parenting and a compilation of poems “Spandan”. See 5 questions we asked Mita.
एक व्यवसायी, सामाजिक कार्यकर्ता, रेडियो कलाकार एवं लेखक - जीवन के रंग मंच में मीता केतन ज़वेरी कई किरदार बखूबी निभाती चली आयी है। पर इन पहचानों के परे - उनकी सादगी, सहजता और औरों के प्रति करुणाभाव ही उनका परम आभूषण है, जो मानो उन्हें अपने गांधीवादी माता-पिता से विरासत में ही मिला हो। सेवा-उन्मुख वातावरण में पलने-बढ़ने के बाद एक व्यव्यसायी परिवार में विवाह होना उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ रहा। जिसके उनकी "जैसा है" के प्रति समर्पण भाव और साथ-ही-साथ अपने स्व-भाव व स्व-धर्म को आकर देने की आजीवन यात्रा का मानो आरम्भ हो गया हो। उन्होंने अर्थशास्त्र में मास्टर्स तक पढाई की है और अगर आपको रेडियो सुनने का शौक है, तो शायद आपको उनकी आवाज़ पहचानने में ज़्यादा वक़्त नहीं लगे- सूरत आकाशवाणी में साहित्य और फ़िल्मी गीतों को पिरोते हुए अक्सर कार्यक्रम प्रस्तुत करती है। वह कई सामजिक संस्थाओ से भी गहराई से जुड़ी है जैसे जीवनभरति मंडल, सिविक हॉस्पिटल, इत्यादि। उन्होंने बच्चो के पालन पर एक किताब और कविताओं के संग्रह "स्पंदन" भी लिखा है। और देखे मीता के साथ 5 सवाल।
The conversation will be moderated by Pranita Walavalkar, lovingly called Neeti by all her friends. After leaving a long-time comfortable corporate job Neeti opened herself up to hear the plans of the Universe, and that has led to a powerful learning journey. Trying to find answers about life from a very young age led her to volunteer with the blind, the under-privileged and elderly. Neeti is an avid traveler and nature-lover, meditates daily and hosts Awakin Circles weekly. She strongly believes that service does not start when you have something to give; it blossoms naturally when you have nothing left to take. She lives in Pune, where she is blessed with a wonderful life partner, a son, an adorable Lhasa Apso, a little flower garden on the window, and sparrows on the sill that make her family complete. Of late, taking care of her elderly father suffering from alzheimers has been a transformational experience for her. See 5 questions we asked Neeti.
इस संवाद का सञ्चालन करेंगी प्रणिता वालावलकर, जिन्हे प्यार से उनके दोस्त नीति बुलाते है। अपनी कई सालों की नौकरी छोड़ने के बाद नीति की एक नयी जीवन यात्रा शुरू हुई है। कम उम्र से ही वह ज़िन्दगी के मकसद को तलाशती हुई - कई प्रकार के सेवा कार्यों में जुड़ी रही - गरीब वर्गों के लिए, दिव्यांगों के लिए, और वयस्कों के लिए। नीति को ट्रैवेलिंग का शौक है और प्रकृति से बहुत प्रेम, वह रोज़ ध्यान (मैडिटेशन) करती है और अपने घर में अवेकिन सर्कल्स भी कराती है। वो अक्सर कहती है की दान तब नहीं शुरू होता जब आपने देने के लिए कुछ इकठ्ठा करे ले, बल्कि अपने आप खिल उठता है जब हमारी और चाहने की प्रवृत्ति ख़त्म हो जाए। वह पुणे में रहती है, अपने पति, बेटे के साथ। एक छोटा खूबसूरत "ल्हासा आपसो", खिड़की पर एक छोटा फूलों का बाग और ऊपर चहचहाती चिड़िया उनके परिवार को पूर्ण करती है। पिछले कुछ समय से, अपने पिता जो की अल्ज़ाइमर्स से पीड़ित हैं की देख-रेख करना उनके जीवन का एक बहुत ही प्रभावशाली अध्याय रहा है। और देखे नीति के साथ 5 सवाल।
Linki - Unlearning and learning constantly | Listening to stories | Transitions Rupali - Having just a little time to myself to play with my colors and paint the way I want like nobody will ever see what I paint and just for my heart out with my colors is what makes me feel alive.Mita - Neeti- Many things...But nature in its true self..A new sapling in the rock, a spring bubbling from nowhere, a birds call, so many things....
Linki - Shifting away for my family for studies | Finding a companion | My younger sisters marriage | Leaving teacher's role at Fountainhead schoolRupali - I don't think I can define one thing that was a turning point in my life but they have been a lot of small turns which have made me who I am today. But the first change I could see in myself, was the day my art teacher left. I used to be extremely dependent on him for everything. Art to me was whatever he did. I didn't have an identity of my own, and was very scared to even finish a whole painting by myself. But somehow I gathered the strength to trust my instincts, and grow my skills, and I ended up realising what art meant to me. And somehow from being so scared to lose my teacher, him leaving was the best thing that happened to my discovery of art! Mita- Neeti- Leaving my corporate job of 22 years
Linki - Everyday act of kindness that my family is doing for me | Nariyal Pani wale bhaiya | Free autoride from Ahmedabad to gandhinagarRupali - I think if I to have point out one act of kindness I'll never forget, it'll be something my daughter received from a man who was a stranger to us, the day we dropped her off to her hostel. He was known to a girl who became my daughter's friend on the first day, and ever since that day, he has taken care of my daughter and her friend, without any expectations. He didn't know who we were, but somehow, he was a guardian angel to my daughter... His father now, is someone I go to with all my questions of life. I have received so much from that family, that any amount of gratitude will not be enough to express! Mita- 22 - - .. ! , , , - ? ! , " " , " , " ," , " , !Neeti- When a village woman out of nowhere in the Himalayas randomly feeds me lunch. (I was really hungry but had not shared with anybody)
Linki- Living in AurovilleRupali- I want to witness the northern lights, and paint them as I see them in real life. Mita- Neeti- Kailash Mansarovar yatra
Linki- There is nothing that is really ours, even the time we have is borrowed, let's make an ordinary life with joy and love.Rupali - Just BeMita- , Neeti - Treat others the way you would like to be treated.