“Nothing will benefit health and increase the chances of survival of life on Earth as the evolution to a Balanced Vegetarian Diet.”
- Albert Einstein
"स्वास्थ्य को बेहतर करने के लिए एवं मनुष्य जाती के पृथ्वी पर बने रहने के लिए, संतुलित शाकाहारी आहार सबसे महत्वपूर्ण होगा।" -- ऐल्बर्ट आइंस्टीन
Dear Friends,
We have been hearing the word health and immunity more often in these times of the pandemic then ever before. Well in times of uncertainty, what does it mean to live in a balanced way? How do we look at health in a way that makes us feel more abundant and resourceful then scarce?
प्रिय दोस्तो
इन दिनों हम "स्वास्थ्य", "इम्युनिटी" जैसे शब्द बहुत ज़्यादा सुन रहे है कोरोना महामारी की वजह से। ऐसे समय में एक स्वाभाविक प्रश्न उठता है की "
कैसे हम स्वस्थ एवं संतुलित जीवन की ओर बढ़ सकते है?" मानव शरीर प्रकृति की एक अद्विय्तीय रचना है - कैसे हम इसकी अंदरूनी शक्ति एवं प्रज्ञा को समझे और उभारे? आज के समय में पश्चिमी ऐलोपैथिक दवा एवं निसर्गोपचार (नेचरक्योर) की क्या भूमिका है? हम कैसे एक स्वस्थ एवं संतुलित जीवन की ओर बढ़े?
In this week’s Maitri Call we invite a dear friend of the community Dr. Bharat Shah.
Dr. Bharat Shah is the Director of
Nisargopachar Kendra (Nature Cure Center) in Vadodara. His childhood experiences are rooted in seeing deep selfless service all around him. He began his medical career by serving in a tribal belt as a pediatrician. Seeing people heal from chronic diseases using methods of nature cure, his interest sparked in this direction and he traveled for a year across India to learn from various practitioners. He over many years have developed a wise balance between western medicine and wisdom of nature cure. Dr. Bharat Shah can also be credited with creating a community of nature cure practitioners over the years.
इस सप्ताह के "
मैत्री मिलन", दिनांक
19 जून, शुक्रवार, संध्या 7-8:30 तक हमारे साथ जुड़ रहे है
डॉ. भरत शाह। भरत भाई वडोदरा, गुजरात में स्थित
निसर्गोपचार केंद्र (NatureCure Centre) के संचालक हैं। उनका बचपन निष्काम सेवा भाव में संलग्न सज्जनों के साथ गुज़रा जिसका उन पर भी गहरा प्रभाव पड़ा. उन्होंने स्वयं चिकित्सा का कार्य आदिवासी क्षेत्रों में एक ऐलोपैथिक पीडियाट्रिशियन (बाल रोग चिकित्सक) के रूप में किया। परंतु जब उन्होंने अपने आस पास देखा की बहुत सरल प्राकृतिक तरीको से कई लोग अपनी पुरानी लाइलाज क्रोनिक बीमारियाँ से बाहर निकल रहे थे, तब इस दिशा में उनकी दिलचस्पी बढ़ी और उन्होंने एक साल तक भ्रमण करते हुए कई चिकित्सको से यह विद्या गहराई में सीखी। अपने कई सालो के अनुभव से, उन्होंने पश्चिमी दवा और निसर्गोपचार की विद्या का एक व्याहवहारिक संतुलन समझा है। इस दौरान, निसर्गोपचार के चिकित्सा को और बढ़ाने में एवं चिकित्सको के एक संघ की स्थापना करने में भी उन्होंने अहम् भूमिका निभाई है।
This Friday we invite him to share on “Holistic Health Solutions” to effectively deal Covid-19 pandemic.
आप सादर आमंत्रित है इस "
संतुलित स्वास्थ्य" चर्चा में।